इस दिल को बहलाने
का तरीका निकालो.
बहुत चोट खाई है
तुम तो संभालो..
मेरे दिल में अनेको घाव हैं
जहाँ से भी भाव उठता है
नासूर,सा टभकता है
इसीलिए तो ...........
सोचना भी बंद कर दिया है
की कोई भाव ही न उठे
और दिल में कोई दर्द भी न उठे
एक घाव तो तुमने दिया था
और एक से यूँ हज़ार हो गए
तुम्हारे दिए घाव मे दर्द होता है
तो बाकि सब भूल जाता है
और किसी में दर्द होता है
तो तुम्हारी याद आ जाती है
वोह ज़ख्म मेरी मौत का
सामान बन गया था
तुम्हारा जान लेने का षडयंत्र
मुझपर एहसान बन गया था
मैं किस तरह से इस घाव से
छुटकारा पाऊँ
मैं बेगाना तुम्हारी बदौलत
सरेआम हो गया था
फिजाओं को जब देखता हूँ
और हरियाली में मन
डूबने उतराने लगता है
तो फ़िर कांटो की चुभन
भी याद आती है
और फ़िर उसी घाव में
एंठन होती है
एक खून का कतरा सा
उभर आता है
बिल्कुल लाल
मेरे nakardan gunahon ki tarah
क्यूंकि.........
मेरे दिल में अनेको घाव हैं
जहाँ से भी भाव उठता है
नासूर सा tabhakta hai
सभा-सोसाइटी हो या
दोस्तों की महफ़िल हो
और जब चलता है
दौरे-शराब
जामों का दौर पर दौर
शम्पैन,रस्तोसत और blacknight
की गुलाबी मादकता में
तुम्हारे diye ghaav ke
वहशियाना tharre ki
याद आ जाती है
क्यूंकि-
मेरे दिल में अनेकों घाव हैं
जहाँ से भी भाव उठता है
नासूर sa tabhakta है
na ab कोई iltaza
न कोई hasrat baki है
aadhi guzar चुकी
aadhi रात baki है
Saturday, January 17, 2009
चाहत
"पीते हैं मय फकत इसलिए
की कोई शराबी तो कहे .
इसी नाते मेरी और अंगूर की
बेटी की रिश्तेदारी तो रहे..
की कोई शराबी तो कहे .
इसी नाते मेरी और अंगूर की
बेटी की रिश्तेदारी तो रहे..
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