राह में कई गुलाब मिले 
पर उनकी खुशबू खींच न पाई
 मुझे तो तलाश थी गुलशन की 
पर जब गुलशन का नज़ारा हुआ 
तो पतझड़ बीतने को था 
और फूल सूख चुके थे 
सिर्फ हर और कांटे ही कांटे थे 
दिल से एक आह निकली काश!
राह के फूलों की उपेक्षा न की होती 
आज काँटों से दामन तार-तार न होता    

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