Wednesday, October 15, 2025

इंसान चाहे गर( शेर)

इंसान चाहे गर तो जिन्दगी में क्या कुछ नहीं कर गुजर सकता,
आकाश के चाँद-सितारों को तोड़ दामन तेरा क्या भर नहीं सकत?
तेरे लिए सभी कुछ गोया मिट्टी के खिलौने के सिवा कुछ न होंगे,
इसे क्या मेरे लिए तू इंतजामे- हाले- सफर क्यूँ नहीं समझ सकता ?

                   राजीव रत्नेश
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