Wednesday, October 15, 2025

हसरत( कविता)

गरज कहीं तुम्हारा दीदार हो जाए,
दिल हमारा- तुम्हारा शरशाद हो जाए

  पुरखिजां चमन में फिर से,
बजाय खिजां आलमे- बहार हो जाए

नफरतों के हादसे हटें दरम्याने- इश्क,
फिर से हममे- तुममे प्यार हो जाए

जीने की तमन्ना है इतनी थोड़ी सी बस,
तुम्हें हमारा भी कभी ख्याल हो जाए

नागवारियाँ भी नहीं इतनी अच्छी,
तुमसे अब तो रस्मे- इकरारे- वफा हो जाए

शमां बनी बेवफा, जलना- जलाना ही बस काम,
तुम्हारे होठों से कम से कम जिक्रे- बरसात हो जाए

 " रतन" की गरज गोया इतनी, कभी भूले से,
किसी तरह भी तुमसे आदाब हो जाए

जीते हैं तो बस इस हसरत में कभी तो' ताज'
हम रहें तनहां, तुम्हारी कायनात हो जाए

            राजीव " रत्नेश'

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!