दिल हमारा- तुम्हारा शरशाद हो जाए
पुरखिजां चमन में फिर से,
बजाय खिजां आलमे- बहार हो जाए
नफरतों के हादसे हटें दरम्याने- इश्क,
फिर से हममे- तुममे प्यार हो जाए
जीने की तमन्ना है इतनी थोड़ी सी बस,
तुम्हें हमारा भी कभी ख्याल हो जाए
नागवारियाँ भी नहीं इतनी अच्छी,
तुमसे अब तो रस्मे- इकरारे- वफा हो जाए
शमां बनी बेवफा, जलना- जलाना ही बस काम,
तुम्हारे होठों से कम से कम जिक्रे- बरसात हो जाए
" रतन" की गरज गोया इतनी, कभी भूले से,
किसी तरह भी तुमसे आदाब हो जाए
जीते हैं तो बस इस हसरत में कभी तो' ताज'
हम रहें तनहां, तुम्हारी कायनात हो जाए
राजीव " रत्नेश'
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