Saturday, January 25, 2025

HAMTUM MUSAPHIR HAIN .

 हम तुम मुसाफिर हैं ,जिंदगी छोटी नाव ,

किस हाल में ,तुम्हें दिलाएं याद। 

मुक्कदस प्यार तुम्हारा ,हमें मिला नहीं ,

हो न जाओ कहीं तुम हमारी तरह बर्बाद। 

यादों में सितारा पनपे ,तेरी नजर बेबाक। 

मुझको तेरी याद  दिलाती ,कोई अनोखी रात ,

जुल्फों को रोको अपने ,समंदरी लहरों की बात। 

रोको अपने आँसुओं को ,होगी समंदर बीच बरसात। 

आता है याद मुझे ,तेरी सुहागरात ,अपने से बात ,

रास्ता दिखाता है मुझे ,जुगनुओं का प्रकाश 

समंदर बीच मछली ,करती अपना शिकार। 


बनिस्बत चाँद के ,चंदनिया है आज उदास ,

आता याद मुझे ,तेरे माथे का निशान। 

तेरे गाल पर पहरा देता ,बैठा है दरबान। 


गुलशन में कहीं नहीं खिला ,सफ़ेद गुलाब 

मुसाफिर हूँ तेरी राह का ,बढ़ा दे अपना हाथ। 

आज खाएंगे हम बैठ के  खाना तेरे साथ। 


दावतेजाम पे आ जा महफिल में आज की रात ,

क्यूँ याद दिलाऊं तुझे ,भूली -बिसरी बात। 

सरायेज़िंदगी में आ फिर से मेरे पास। 


मांगती है तहेदिल से ज़िंदगी तेरा हाथ ,

आकर फिर से ,कर दे पूरे अरमान। 

रतन को भी याद ,तेरी हर पुरानी बात। 

हमतुम मुसाफिर हैं ,ज़िंदगी छोटी नाव। . 

-------राजीव रत्नेश ---------------------

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