-इच्छा है यह मेरी ---
-------------------------
तुम चाँद ,बाकी सभी सितारे हो
तुम चाहो तो भोर में रतन के साथ
सरेगुलशन की तरफ हम उसके साथ चलें
सूरज की पहली रश्मी के साथ ,
हम तुम कहीं भी ,कहीं दूर निकल चलें ,
कोई आता होगा किसी को लेकर ,
हम भी उनके साथ ,कहीं और चल चलें ,
हम अपनी मरजी से साथ ,कहीं और निकल पड़ें।
--------------------------
राजीव रत्नेश
No comments:
Post a Comment