Wednesday, January 1, 2025

इच्छा है यह मेरी( कविता)


-इच्छा है यह मेरी  ---

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तुम चाँद ,बाकी सभी सितारे हो 

तुम चाहो तो भोर में रतन के साथ 

सरेगुलशन की तरफ हम उसके साथ चलें 

सूरज की पहली रश्मी के साथ ,

हम तुम कहीं भी ,कहीं दूर निकल चलें ,

कोई आता होगा किसी को लेकर ,

हम भी उनके साथ ,कहीं और चल चलें ,

हम अपनी मरजी से साथ ,कहीं और निकल पड़ें। 

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राजीव रत्नेश 

 

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!