Sunday, March 9, 2025

KUCH SUNNA GANWARA N HUA

सीना  जबसे  उभार  पे  आया , हिप और  अंदर घुस गयी। 

नाक में नथ  आ  गयी ,तेरे  हुस्नो -इश्क़  की  ऐसी -तैसी। 

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कुछ सुनना गँवारा न हुआ ,तेरे वालिदैन को ,

तुम पर हुक्मे -जबानबंदी लगाने के बाद। 

बिना बात मुँह फेर लेना ,एक अदा से ,

शायरों का कुछ तो समझ लेते मिज़ाज। 

उतारा न कभी खुद को आईने में तुमने ,

तेरी जुबान पर बेहतर मुस्सविर थे हमीं। 

हमको भी आता है ,जज्बातों पे ब्रेक लगाना ,

बहते पानी में ब्रेक लगा के तुमने  बड़ा तीर मारा। 

फिर से आऊँगा महफ़िल में ,तसल्ली रखो ,

पिछली बार तो कुछ न कहा ,अबकी मुँह खोलना। 

अता तुमको दिल किया ,ईमानो -जां भी कर देते ,

पर तू तो बहुत बड़ा वाला बेवफा निकला। 

बैंड -बाजे  हांफ गए ,शहनाइयां भी खामोश हुईं ,

मेरे घर से निकली बारात किसी और के घर पहुँची। 

सागर में था रंगीन पानी ,कैसे रखते कायम होश ,

'रतन 'ने न बिजलिओं पर दावा किया ,न हक़ दिखाया अपना। 

------     ------राजीव रत्नेश ----------- 

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