सीना जबसे उभार पे आया , हिप और अंदर घुस गयी।
नाक में नथ आ गयी ,तेरे हुस्नो -इश्क़ की ऐसी -तैसी।
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कुछ सुनना गँवारा न हुआ ,तेरे वालिदैन को ,
तुम पर हुक्मे -जबानबंदी लगाने के बाद।
बिना बात मुँह फेर लेना ,एक अदा से ,
शायरों का कुछ तो समझ लेते मिज़ाज।
उतारा न कभी खुद को आईने में तुमने ,
तेरी जुबान पर बेहतर मुस्सविर थे हमीं।
हमको भी आता है ,जज्बातों पे ब्रेक लगाना ,
बहते पानी में ब्रेक लगा के तुमने बड़ा तीर मारा।
फिर से आऊँगा महफ़िल में ,तसल्ली रखो ,
पिछली बार तो कुछ न कहा ,अबकी मुँह खोलना।
अता तुमको दिल किया ,ईमानो -जां भी कर देते ,
पर तू तो बहुत बड़ा वाला बेवफा निकला।
बैंड -बाजे हांफ गए ,शहनाइयां भी खामोश हुईं ,
मेरे घर से निकली बारात किसी और के घर पहुँची।
सागर में था रंगीन पानी ,कैसे रखते कायम होश ,
'रतन 'ने न बिजलिओं पर दावा किया ,न हक़ दिखाया अपना।
------ ------राजीव रत्नेश -----------
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