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प्यार मेरा खिलवाड़ होगा तेरे लिए/
मेरा दिल ही तो है, कोई तेरा खिलौना नहीं है/
मुहब्बत भी कभी करता था तुमसे,
दिल से याद भी करता था तुझको,
मेरी जां भी तू थी, ईमां भी तू थी,
जानता हूँ फिसल कर नहीं सँभलना तुझको,
मेरी जिन्दगी के सफर में तेरा रास्ता नहीं है/
मेरा दिल तेरा सिमटा हुआ आशियाना नहीं है/
गुजरगाह अब छोड़ रक्खी है तेरी मैंने,
तेरे रास्ते में मुझे अब आना नहीं है,
समझ ले, मैं ही तेरा महबूब नहीं था,
मेरी तकदीर के फसाने में तेरा जिक्र नहीं है,
मेरी गजल में अब जिक्रे- याराना नहीं है/
भूल जाऊँ तेरी जफा, अब वो जमाना नहीं है/
अपनी हाले- बरबादी की जिम्मेदार तू खुद है,
मेरे अफसाने में तू कोई किरदार नहीं है,
भुला दे मुझको, अब अपने दिल से भी,
मुझे तेरी महफिल में, लौट के अब आना नहीं है,
गुल को क्यूँ भुलाऊँ, गर मौसम बेवफा नहीं है/
मेरा दिल ही तो है, कोई तेरा खिलौना नहीं है/
जंगल जंगल, सहरा सहरा फिरा तेरी याद के सहारे,
समझ लिया खुद, देख लिया असरे- मुहब्बत कितना था,
क्या- क्या न सोचा, क्या- क्या न समझा तुझे मैंने?
एक मुजस्सिम बुते- जफा के सिवा वजूद तेरा कुछ नथा,
मेरी तुझसे मुहब्बत कोई पहला अफसाना नहीं है/
मेरा दिल ही तो है, कोई तेरा खिलौना नहीं है/
जब चाहा खेला, दिल भर गया तो तोड़ दिया,
तोड़-तोड़ रिश्ता तूने, बार- बार फिर से जोड़ा,
निशाना तेरा, मेरा दिल रहा हमेशा,
कड़वा था सच, मगर दिल तेरा निकला थोथा,
मजबूरी में कोई पाठ मुहब्बत का पढ़ा- पढ़ाया नहीं है/
मेरा दिल ही तो है, कोई तेरा खिलौना नहीं है/
प्यार की बगिया में चंद फूल मैंने खिलाए थे,
तेरे लिए ही तो हमने चमन सजाए थे,
और कौन था तेरे सिवा मेरा, करता जिसका शिकवा,
किसके लिए मैंने दिल में अरमान जगाए थे?
मेरे दिल का कँवल, कोई तेरा बसेरा नहीं है/
मेरा दिल ही तो है, कोई तेरा खिलौना नहीं है/
बिना प्यार के अपना अधिकार जताती है,
मौके- मौके याद करती है, फिर भूल जाती है,
मैं तुझे ही नहीं, हर बेवफा से यही कहता हूँ,
ये आदत अच्छी नहीं, जो बिना बात फूल जाती है,
मेरा दिल किसी बेवफा का ठिकाना नहीं है/
मेरा दिल ही तो है, कोई तेरा खिलौना नहीं है/
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बदला है तुमने रिवाजे- मुहब्बत,
हम तुम्हें आवाज कैसे देते?
हट जाना बेहतर था, तुम्हारी जिंदगी से,
फरियाद करते भी तो आखिर किससे करते?
राजीव रत्नेश
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