मेरे बेटे क्या करोगे ज्यादा पढ़-लिख कर,.
डी म, सी एम या पी एम बन कर भी,
हासिले- तकवीर के अलावा कुछ न होगा,
अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा,
गरीबों को बाँट , अपना जीवन सफल बनाना/
मुझे गम नहीं कि तुम्हें अँग्रेजी नहीं आती,
न पास मेरे इतनी दौलत है कि हावर्ड, कैम्ब्रिज,
या आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तुम्हें दाखिला दलाऊँ,
तरक्की करना तो कंप्यूटर और मोबाइल के क्षेत्र में,
देश तक चलाने में काफी मददगार होंगे,
टी वी के सारे चैनल तुम्हें आजमाने होंगे,
उसके रसूख से, आगे तरक्की के रास्ते खुलेंगे,
कोई नौकरी न मिले आत्म- सम्मान गँवाने पर भी,
तो दूर-दराज कहीं ' चाय की दुकान' खोल लेना/
कुछ को फ्री में' रूटीन चाय' पिलाना,
खुद बड़ी केतली और' डिस्पोजल कप' लेकर,
' डिपार्टमेंट टू डिपार्टमेंट' चक्कर लगाना/
फायदे के पैसों से अपनी दुकान बढ़ाना,
हो सके तो खरीद- फरोख्त और' शेयर मार्केट'
का कालम अखबार में रोज पढ़ना और,
' मंडी' की सस्ती- चढ़ती का हिसाब लगाना/
क्या करोगे नौकरी करके, कुछ नहीं रक्खा उसमें,
बिजनेस का जमाना है, बिजनेस में ही पैर जमाना/
जो चीज बची रह गई हो बिकने से,
उसे भी बेचने के लिए तिकड़में लगाना,
आजकल की नौकरी में' फैमिली पेंशन'
के नाम पर मिलती सिर्फ' टेन्शन' है,
नेताओं को ताउम्र मिलती है पेंशन,
यही सोच के तुम अव्वल दर्जे के नेता बनना/
' विश्व- शांति' का पाठ पढ़ाने वाले, जनता का,
आधा पैसा हथियारों की खरीदी-बिक्री में लगा कर,
चैन से नहीं बैठते, ऊपर से'' बोफार्स और राफेल''
का भी बिजनेस करते हैं, कमीशन खाते हैं,
मेरा भारत महान/
जरूरत पड़ी तो' अदाणी- अंबानी' को भी,
अमेरिका के हाथों में दे देंगे,
पर भारत में भुखमरी न आने देंगे,
'' फ्री का राशन'' देंगे, जबतक सत्ता पर काबिज रहेंगे/
गरीबों को निकम्मा कर देंगे,
नौकरी से भी छँटनी कर देंगे,
फिर नौकरी का विज्ञापन निकाल,
हर बार'' पेपर लीक'' करवाएँगे/
जनता अपनी छाती कूटेगी, आहें भर- भर के कहेगी,
मन की बात कहेगी"" क्या हुआ तेरा वादा, कहाँ गए
वो दिन वो इरादा''/
हमें फ्री का अनाज नहीं, हमारे हाथों को काम दो,
मेहनत हम कर लेंगे,
खेतों- बगीचों को हरियाली से लहलहा देंगे,
सारी बँद फैक्टरियों को हम चालू करेंगे/
नहीं चाहिए फ्री का राशन हमें,
हम अनपढ़ और निकम्मा रहना नहीं चाहते/
हर कामगार को काम दो, फिर देखो,
"" शेयर बाजार''' कैसी उछाल लेता है/
अमेरिका, चाइना और रूस जैसी महाशक्तियाँ,
जब तब मेरे भारत को आँखें दिखाते हैं,
विकसित देश वो हैं, हम विकासशील,
हमारी प्रकृति में जो चीज बाधा बन रही है,
वो है हमारी उपेक्षा और हमारा निकम्मापन/
यू पी से भी छोटा देश पाकिस्तान,
अमेरिका चाइना के दम पर,
भारत को '' सौत'' की नजर से देखता है/
हम पाकिस्तान पर"" सर्जिकल स्ट्राइक"",
और'' आपरेशन सिंदूर"" से उसकी देखा देखी करते है,
और खुद अपनी पीठ थपथपा
क्या है, टक्कर लेना है तो,
चीन, अमेरिका या रूस, या किसी एक से भी लो,
तो समझ आएगा," फ्री का राशन" सब निकल जाएगा/
सच में जनता का भला अगर करना है तो,
योग को हर क्षेत्र में कंपल्सरी करना होगा,
स्कूल, यूनिवर्सिटी, आफिसेज और कैक्टरियों में,
इसके लिए अलग से वेतन और समय बाँधना होगा/
तब कहीं जाकर जनता और सेना मजबूत बनेंगे,
भारत के लिए' सर पे कफन' बाँध के निकलेंगे,
जो हमारी ओर गलत निगाहों से देखेगा,
उसका सारा गर्व और अहंकार चूर कर देंगे/
यहाँ विभीषण और जयचंदों की कमी नहीं है,
भ्रष्टाचार के लिए उनके पास सब कुछ जायज है,
ब्लैक मनी का भंडारण उनके पास है,
कोई किसी से नहीं डरता, घटनाएँ और दुर्घटनाएँ,
रोजमर्रा के जीवन की खबरों की आम बात है,
न्याय- मूर्तियों के पास ब्लैकमनी निकलती है,
तो नेता और अभिनेता क्यूँ पीछे रहेंगे?
सत्तापक्ष में रहने के बड़े फायदे हैं,
ई डी, सी बी आई और नरकोटिकस डिपार्टमेंट,
यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट तक तुम्हारी मुट्ठी में रहेंगे/
मुठ्ठी खोल दोगे, तो ये सब स्वतंत्र हो जाएँगे,
एक- एक अपना कार्यक्षेत्र देखेंगे,
" प्यार करना गुनाह है" यह किसी किताब या
धर्म में लिखा नहीं है,
पर" सुशांत सिंह राजपूत" अभिनेता की,
आत्महत्या को हत्या दिखाने के आरोप में,
" रिया चक्रवर्ती" और उसके पूरे परिवार को,
ईडी, सी बी आई ने खूब चक्कर कटवाए,
अंततः रिया को" नारकोटिक्स डिपार्टमेंट" ने,
शायद एक महीने की जेल करवाई/
पर हत्या किसी हाल कोई साबित न कर पाया/
बार- बार फाइल खुली, फिर बंद करनी पड़ी,
आत्महत्या करार देकर सी बी आई ने भी,
फाइल बंद करवा दी/
हाल ही में" आर्यन खान" को" शिप- पार्टी" से,
गिरफतार" नारकोटिक्स डिपार्टमेंट" ने किया/
महीनों जेल में रक्खा, खबर ये उड़ी कि" शाहरुख खान",
से एक" मोटी रकम" की माँग की गई/ जो भी हो,
हर हाल मेरा भारत महान है,
यहाँ बलिदानियों के इतिहास से,
समूचा विश्व आश्चर्य चकित है/
भगत, बिस्मिल, आजाद की कीर्ति- पताका,
पूरे विश्व में लहरा रही है/
यह गाँधी, नेहरू, जयप्रकाश का देश है/
गाँधी जी के तीनों बंदर, पहला अंधा, दूसरा बहरा,
और तीसरा भोली- भाली जनता का नुमाइंदा,
गूँगा बन के बैठा है, जनता मात्र मूक दर्शक बनी है/
फिर भी मेरा भारत महान है,
उससे भी ऊँचा यहाँ का संविधान है/
मेरे बेटे तुम संविधान के संरक्षक बनना/
कुछ बनो न बनो पर नेता जरूर बनना/
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आजकल बहस का मुद्दा है,
संसद बड़ी या बड़ा सुप्रीम कोर्ट,
हमको लगता कोई छोटा या बड़ा नहीं,
क्यूंकि दोनों में है खोट//
राजीव रत्नेश
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