Sunday, June 29, 2025

तुम्हारे बिना दिल मानेगा नहीं( कविता)

अपना प्यार मेरी झोली में डाल दो, जरा संभल के/
याद मेरी अपने दिल में संभाल लो, जरा संभल के/
इरादा मेरा कोई खास नहीं, पर तुमसे दिल लगा है,
आ जाओ फिर से पास समय निकाल के, जरा संभल के/
नजरों में फिर शुआएँ चमकेंगी चाँद और सूरज की,
अपनी नजर को मेरे चेहरे पे गाड़ दो, जरा संभल के/
मुहब्बत को दुनिया कभी अच्छी नजर से देखती नहीं,
आओ मेरे प्यार की राहों में देख भाल के, संभल के/
अनजान तेरे शहर में मैं, पर तू तो अनजान नहीं,
लगा दो कहीं भी अपने दिले सुकुमार को, जरा संभल के/
सूरत आजकल मद्धिम- मद्धिम लगती है मुझे,
असर किसी बात का हुआ तो दिल संभाल लो, जरा संभल के/
तू मेरी जान है, दिल से दिल लगाओ, जरा संभल के,
मेरे होंठों पे प्यास है, जामे शराब पिलाओ, जरा संभल के/
मैंने तुझे ही चाहा है, लख्तेजिगर निकाल लो, जरा संभल के,
मेरी मुहब्बत रास न आए तो जहर पिला दो, जरा संभल के/
जिस्मोजान में धड़कन है, अपनी धड़कन संभाल लो,
मैं तुझे कहीं भी, किसी भी डगर में मिलूँ, मिलना जरा संभल के/
मुहब्बत में लाजिम है खुदी को मिटाना, आओ जरा संभल के,
आकर मेरे दिल में समाओ, दिल मिलाओ जरा संभल के/
कहता है तुमसे दिले नादां, आओ राह में जरा संभल के,
नमूना देखना हो प्यार का तो दिल हवाले करो जरा संभल के/
महबूब मेरे, तुमसे ही कायम है कायनाते- मुहब्बत मेरी,
चली आओ पास तारे तंबू उखाड़ के, जरा संभल के/
निशाना भी चलाओ तो देखभाल के, जरा संभल के,
अपने को मेरी मुहब्बत का मदमस्त बनाओ जरा संभल के/
आनाकानी न करो, नातवानी न करो मुहब्बत में,
आओ राहों में, अपने दिल को संभालो, जरा संभल के/
" रतन" को उल्फत तुमसे हर हाल में, समझ लो,
तुम्हारे बिना दिल मानेगा नहीं, आओ राह में, जरा संभल के/

           राजीव रत्नेश
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फिर से अपनी मुहब्बत जवाँ कर दो( कविता)

एक बार नजरे- बेबाक से फिर देखो/ 
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/
तुम्हारा- हमारा फलसफा बढ़ेगा आगे तभी,
दो कदम मैं बढूँ, दो कदम तुम आगे आओ,
इश्क का कोई पुरसाहाल जमाने में नहीं,
हुस्न न चाहे तो इश्क जिन्दा रह नहीं सकता,
तेरी मुहब्बतों का हुनर तू ही जाने,
मैं तेरे बिना, ज्यादा दिन रह नहीं सकता,
ऐ हुस्न जाग जा, तुझे इश्क जगाता है,
तेरी आरजू दिल को है, वसलत का इरादा है,
नजरों के जाम की मुझे बड़ी जरूरत है,
दुनिया में ही जन्नत के मजे का इरादा है,
आके पास इक बार मुहब्बत को जवाँ कर दो/
तुझसे ही दिल को लगाने का इरादा है/
इक बार दिल को पुरसुकूँ कर दो,
आलमे- दुनिया में नया जुनून भर दो,
हर हाल में तुझे चाहूँगा, तू मेरी हो जा,
आके मेरे दिल में, मुहब्बत भरपूर कर दो,
एक- दो जाम से मेरा क्या होगा?
मुझे तो मयखाना उठा के दे दो,
इतनी ही पिला कि होश भी रहे बाकी,
मेरी निगाहों को अपना दीदार करा दो,
मुहब्बत को नया कलेवर पहना दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/
कारनामे- इश्क तुझे क्या- क्या सुनाऊँ,
हुस्न को दिक्कतों से सामना तो कराऊँ,
उसको भी इश्क की दुश्वारियाँ समझ आए,
उसको भी मुहब्बतों का साबका पड़ाऊँ,
इक निशानी, अदा- ए- खास मुहब्बत की दे दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो)
प्यार कोई गुनाह नहीं, ज तूने किया,
साथ में जीने मरने का इरादा किया,
तेरा बख्तर बँद जिगर, फौलादी दिल,
फिर नजरों से तूने हमला किया,
उसको इक चोट का नजारा करा दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ करदो)
तुम आए पास, हाल न मैंने पूछा,
न तुमने ही हालेदिल मुझसे पूछा,
बड़ी दिल शिकन हो, नादाँ हो,
तुझे खुद मेरे पास आना होगा,
अपनी तिरछी नजरों से इशारा कर दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/
थाईलैंड की मिस यूनिवर्स से क्या मुकाबला,
भारत की ऐश्वर्या ते कम नहीं हो,
वो अब तो" बच्चन परिवार" की शान है,
भले अभी भी सलमान की जान है,
दीवाली बीती, बचा बम- पटाखा चला दो/
फिर से अपनी मुहब्बत को जवाँ कर दो/

बार- बार नजरें फेंक के बार- बार इधर देखो,
" रतन" की मुहब्बत को प्यार का सिग्नल दे दो!!

        राजीव रत्नेश
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तेरा इंतजार आज भी है( कविता)

मेरी बेताब नजर को तेरी दरकार आज भी है/
मेरे बेकरार दिल को तेरा इंतजार आज भ है/
मुद्दतों से तू मुझसे मिल न पाई है,
दिल की लगी आज तक बुझ न पाई है,
लिक्खा मेरा नाम तुमने किताबे- जिन्दगी के पन्ने पर,
वही स्याही की दवात उलट गई है,
मेरी तकदीर की चाँद, तू बेमिसाल आज भी है/
मेरी बुझी-बुझी आँखों को तेरा इंतजार आज भी है/
कहने भर को ही मैं तुझे भूला हूँ,
याद तुझे सुब्होशाम करता हूँ,
तू मेरी रौशन तकदीर आज भी है,
तेरी हाजिरी से मेरे ख्वाब सँवरते हैं,
माना तेरे प्यार का गुनहगार मैं आज भी हूँ/
मेरे बेकरार दिल को तेरा इंतजार आज भी है/
रास्ते के दरख्तों से तेरा पता पूछा मैंने,
चाँद-सितारों से तेरा इरादा पूछा मैंने,
तुझे ख्याले- जन्नत दिल से माना मैंने,
कहने भर को तू मिली थी, फिर बिछड़ने के लिए,
तेरे प्यार की पहली निशानी मेरे पास आज भी है/
मेरे बेकरार दिल को तेरा इंतजार आज भी है/
तू पहली थी, जिसे मेरा इंतजार रहता था,
तेरे लिए मैं ख्यालों से बेकरार रहता था,
तू पासवाँ होके बैठी, तो तुझे चाहा मैंने,
तू कब खुश है, कब खफा, अंदाज रहता था,
तेरी याद का, तेरे प्यार का तलबगार आज भी हूँ/
मेरे बेकरार दिल को, तेरा इंतजार आज भी है/
जमाने ने ही तुझे मिलने से रोका था मुझसे,
तेरे बाप ने ही दामन तेरा छुड़ाया था मुझसे,
दूर नजरों से तेरे भाई ने किया था मुझे,
तू मुझे नहीं चाहती है, कहा था मुझसे,
दिल पे मेरे उस वक्त क्या गुजरी थी, याद आज भी है/
मेरे बेकरार दिल को तेरा इंतजार आज भी है/
मुझे शहर छोड़ने को कहा गया था,
यूनिवर्सिटी जाने से मना किया गया था,
तुझसे मिल पाने पे रोक लगा दी जमाने ने,
तेरी हवेली के हर दरवाजे बंद हो गए थे मेरे लिए,
सोचा भी न था, प्यार का अंजाम ऐसा भी होगा/
मेरे बेकरार दिल को तेरा इंतजार आज भी है/
माना तू बहुत दूर किसी दूसरे शहर में है,
मुलाकात भी तुझसे हुई अपने शहर में ही,
अपनी ब्याहता को मिलवा दिया तुझसे मैंने,
अपना पता भी तो गलत दिया था मुझको तुमने,
मेरा खोया हुआ चाँद उदास आज भी है/
मेरा दिल तुझसे मिलने को बेकरार आज भी है/
माना तेरी माँग में सिन्दूर है और का,
पर तेरी माँग भरने का वादा मेरा था,
तेरे घर वालों को सबको पता था,
इसी वजह से गुलाल तेरे गालों पे मला था,
मंजिल के रास्ते में, तेरी रहगुजर से गुजरा था/
तेरे शहर में जाकर भी, न मिलने का अफसोस आज भी है/
मेरे बेकरार दिल को तेरा इंतजार आज भी है,
मेरी बेताब नजर को तेरी दरकार आज भी है!!

         राजीव रत्नेश
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दिल्ली का मौसम तुझे रास न आएगा( कविता)

जोखिम भरा है, ऐसे वक्त में तेरा दिल्ली शहर आना/ 
पर्यावरण प्रदूषित है,  निश्चित है रोग का लगाना/
धूल है, आँधी-तूफान कब पलट के आ जाए,
हस्ती की राहों में जरूरी नहीं तेरा यहाँ आना/
हवा में अमोनिया का प्रसारण है, तेरी नाक को होगा आराम,
तेरे जुकाम का यहीं पर है इंतजामे- मदावा/
नाले बजबजा रहे हैं, यमुना खदबदा रही है,
जल- प्रदूषण इतना है, बिना बीमार पड़े वापस नहीं जाना/
अच्छा है मेरे अपने शहर की वातानुकूलित हवा,
वहीं से चला था मैं सोचकर कि मिलेगी सुविधा/
सोचा पहले ही था, तुझे यहीं बुलाऊँगा, इलाज कराऊँगा,
अनुकूल कोई डाक्टर मिला नहीं, रास न आई हवा/
बिना पास नक्शे का बसा है ये शहर पहले से,
इंजीनियर बड़े- बड़े है, पर नहीं उनको आइडिया/
प्लास्टर उखाड़ के सड़क का पुननिर्माण करते हैं,
झुग्गी-झोपड़ी ध्वस्त करते, सड़क चौड़ीकरण है हथियार/
मैंने सुना है, यहाँ आके लोग खुद को ढाल लेते हैं,
विपरीत परिस्थितयों में, उनको आता है दिल लगाना/
कोई गुड़गाँव से" अप-डाउन" डेली करते हैं, तो कोई,
शहर के एक कोने से दूसरे का करते हैं सफर आसाँ/
अपने शहर में रहोगी या यहीं मेरे पास आओगी तुम,
सोच लो आसाँ नहीं होगा, यहाँ पर दिल लगाना/
जमाना बहुत खराब है, शाम को पुरखतर है आना-जाना,
आधुनिकीकरण के नाम पर लग जाता है जाम रोजाना/
कब कहाँ" रूट- डायवर्जन" कर दिया जाय, नहीं पता,
अखबार रोज बताते हैं," एक्सप्रेस-वे" पर ज्यादा होती दुर्घटना/
इंसानों से ज्यादा लोग कुत्तों को महत्व देते हैं,
सोसायटी की तीनों ईमारतों में ज्यादा के पास पालतू कुत्ते हैं/
कभी- कभी लिफ्ट में कुत्तों से साबका पड़ता है,
कुत्ते तो भौंकते हैं, पर मालिक का बर्ताव अनजाना/
दो छोटे मार्केट हैं दो- तीन किलोमीटर के दायरे में,
पर" आटो या टैक्सी- स्टैंड" कहीं नहीं, होता है भटकना/
हमने भी" रूटीन चाय" के अलावा चाय पीना छोड़ा,
वरना डेढ़ सौ रुपये खर्च के, दस रुपये की चाय पड़ता है पीना/ पड़ोसी, पड़ोसी को नहीं पहचानता, यहाँ का रिवाज अनजाना,
सत्ताइस मंजिला मेरी इमारत है, किससे मिलें, कहाँ ठिकाना/
" रतन" को मंजूर नहीं है, अपना शहर बदल के कहीं और जाना,
यहाँ शातिर से शातिर भरे हैं, मुश्किल है उनसे निभा पाना/
               राजीव रत्नेश
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सड़कों, चौराहों, शहरों के नाम बदलते आधुनिकीकरण के नाम से,
आज भी इलाहाबादी हूँ, प्रयागराजी नहीं मेरा उपनाम है/
जाति, धर्म, मजहब, या देश की सीमामों से खुद को नहीं बाँधा कभी,
एक जगह का सिमट के होना मंजूर नहीं," वसुधैव- कुटुम्बकं" का मेरा नारा/
           राजीव रत्नेश
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मेरा भारत महान( कविता)

मेरे बेटे क्या करोगे ज्यादा पढ़-लिख कर,.
डी म, सी एम या पी एम बन कर भी,
हासिले- तकवीर के अलावा कुछ न होगा,
अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा,
गरीबों को बाँट , अपना जीवन सफल बनाना/
मुझे गम नहीं कि तुम्हें अँग्रेजी नहीं आती,
न पास मेरे इतनी दौलत है कि हावर्ड,  कैम्ब्रिज,
या आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तुम्हें दाखिला दलाऊँ,
तरक्की करना तो कंप्यूटर और मोबाइल के क्षेत्र में,
देश तक चलाने में काफी मददगार होंगे,
टी वी के सारे चैनल तुम्हें आजमाने होंगे,
उसके रसूख से, आगे तरक्की के रास्ते खुलेंगे,
कोई नौकरी न मिले आत्म- सम्मान गँवाने पर भी,
तो दूर-दराज कहीं ' चाय की दुकान' खोल लेना/
कुछ को फ्री में' रूटीन चाय' पिलाना,
खुद बड़ी केतली और' डिस्पोजल कप' लेकर,
' डिपार्टमेंट टू डिपार्टमेंट' चक्कर लगाना/
फायदे के पैसों से अपनी दुकान बढ़ाना,
हो सके तो खरीद- फरोख्त और' शेयर मार्केट'
का कालम अखबार में रोज पढ़ना और,
' मंडी' की सस्ती- चढ़ती का हिसाब लगाना/
क्या करोगे नौकरी करके, कुछ नहीं रक्खा उसमें,
बिजनेस का जमाना है, बिजनेस में ही पैर जमाना/
जो चीज बची रह गई हो बिकने से,
उसे भी बेचने के लिए तिकड़में लगाना,
आजकल की नौकरी में' फैमिली पेंशन'
के नाम पर मिलती सिर्फ' टेन्शन' है,
नेताओं को ताउम्र मिलती है पेंशन,
यही सोच के तुम अव्वल दर्जे के नेता बनना/
' विश्व- शांति' का पाठ पढ़ाने वाले, जनता का,
आधा पैसा हथियारों की खरीदी-बिक्री में लगा कर,
चैन से नहीं बैठते, ऊपर से'' बोफार्स और राफेल''
का भी बिजनेस करते हैं, कमीशन खाते हैं,
मेरा भारत महान/
जरूरत पड़ी तो' अदाणी- अंबानी' को भी,
अमेरिका के हाथों में दे देंगे,
पर भारत में भुखमरी न आने देंगे,
'' फ्री का राशन'' देंगे, जबतक सत्ता पर काबिज रहेंगे/
गरीबों को निकम्मा कर देंगे,
नौकरी से भी छँटनी कर देंगे,
फिर नौकरी का विज्ञापन निकाल,
हर बार'' पेपर लीक'' करवाएँगे/
जनता अपनी छाती कूटेगी, आहें भर- भर के कहेगी,
मन की बात कहेगी"" क्या हुआ तेरा वादा, कहाँ गए
वो दिन वो इरादा''/
हमें फ्री का अनाज नहीं, हमारे हाथों को काम दो,
मेहनत हम कर लेंगे,
खेतों- बगीचों को हरियाली से लहलहा देंगे,
सारी बँद फैक्टरियों को हम चालू करेंगे/
नहीं चाहिए फ्री का राशन हमें,
हम अनपढ़ और निकम्मा रहना नहीं चाहते/
हर कामगार को काम दो, फिर देखो,
"" शेयर बाजार''' कैसी उछाल लेता है/
अमेरिका, चाइना और रूस जैसी महाशक्तियाँ,
जब तब मेरे भारत को आँखें दिखाते हैं,
विकसित देश वो हैं, हम विकासशील,
हमारी प्रकृति में जो चीज बाधा बन रही है,
वो है हमारी उपेक्षा और हमारा निकम्मापन/
यू पी से भी छोटा देश पाकिस्तान,
अमेरिका चाइना के दम पर,
भारत को '' सौत'' की नजर से देखता है/
हम पाकिस्तान पर"" सर्जिकल स्ट्राइक"",
और'' आपरेशन सिंदूर"" से उसकी देखा देखी करते है,
और खुद अपनी पीठ थपथपा 
 क्या है, टक्कर लेना है तो,
चीन, अमेरिका या रूस, या किसी एक से भी लो,
तो समझ आएगा," फ्री का राशन" सब निकल जाएगा/
सच में जनता का भला अगर करना है तो,
योग को हर क्षेत्र में कंपल्सरी करना होगा,
स्कूल, यूनिवर्सिटी, आफिसेज और कैक्टरियों में,
इसके लिए अलग से वेतन और समय बाँधना होगा/
तब कहीं जाकर जनता और सेना मजबूत बनेंगे,
भारत के लिए' सर पे कफन' बाँध के निकलेंगे,
जो हमारी ओर गलत निगाहों से देखेगा,
उसका सारा गर्व और अहंकार चूर कर देंगे/
यहाँ विभीषण और जयचंदों की कमी नहीं है,
भ्रष्टाचार के लिए उनके पास सब कुछ जायज है,
ब्लैक मनी का भंडारण उनके पास है,
कोई किसी से नहीं डरता, घटनाएँ और दुर्घटनाएँ,
रोजमर्रा के जीवन की खबरों की आम बात है,
न्याय- मूर्तियों के पास ब्लैकमनी निकलती है,
तो नेता और अभिनेता क्यूँ पीछे रहेंगे?
सत्तापक्ष में रहने के बड़े फायदे हैं,
ई डी, सी बी आई और नरकोटिकस डिपार्टमेंट,
यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट तक तुम्हारी मुट्ठी में रहेंगे/
मुठ्ठी खोल दोगे, तो ये सब स्वतंत्र हो जाएँगे,
एक- एक अपना कार्यक्षेत्र देखेंगे,
" प्यार करना गुनाह है" यह किसी किताब या
धर्म में लिखा नहीं है,
पर" सुशांत सिंह राजपूत" अभिनेता की,
आत्महत्या को हत्या दिखाने के आरोप में,
" रिया चक्रवर्ती" और उसके पूरे परिवार को,
ईडी, सी बी आई ने खूब चक्कर कटवाए,
अंततः रिया को" नारकोटिक्स डिपार्टमेंट" ने,
शायद एक महीने की जेल करवाई/
पर हत्या किसी हाल कोई साबित न कर पाया/
बार- बार फाइल खुली, फिर बंद करनी पड़ी,
आत्महत्या करार देकर सी बी आई ने भी,
फाइल बंद करवा दी/
हाल ही में" आर्यन खान" को" शिप- पार्टी" से,
गिरफतार" नारकोटिक्स डिपार्टमेंट" ने किया/
महीनों जेल में रक्खा, खबर ये उड़ी कि" शाहरुख खान",
से एक" मोटी रकम" की माँग की गई/ जो भी हो,
हर हाल मेरा भारत महान है,
यहाँ बलिदानियों के इतिहास से,
समूचा विश्व आश्चर्य चकित है/
भगत, बिस्मिल, आजाद की  कीर्ति- पताका,
पूरे विश्व में लहरा रही है/
यह गाँधी, नेहरू, जयप्रकाश का देश है/
गाँधी जी के तीनों बंदर, पहला अंधा, दूसरा बहरा,
और तीसरा भोली- भाली जनता का नुमाइंदा,
गूँगा बन के बैठा है, जनता मात्र मूक दर्शक बनी है/
फिर भी मेरा भारत महान है,
उससे भी ऊँचा यहाँ का संविधान है/
मेरे बेटे तुम संविधान के संरक्षक बनना/
कुछ बनो न बनो पर नेता जरूर बनना/
        """""""""""""""""""""
आजकल बहस का मुद्दा है,
संसद बड़ी या बड़ा सुप्रीम कोर्ट,
हमको लगता कोई छोटा या बड़ा नहीं,
क्यूंकि दोनों में है खोट//

         राजीव रत्नेश
     """""""'""""""""""""""""""""

Thursday, June 26, 2025

तुझे मेरी मंजिल पे पहुँचना होगा( कविता२)

माना तू खूबसूरत है, पर मेरे दिल का यकीं बन न सकी/
अदाएँ तेरी गजब की, पर मेरे दिल को तू छल न सकी/
तुझे अपने को पहले मेरे प्यार के  काबिल करना होगा,
मौजे- मस्त से मेरे दिल की बहार तुझे बनना होगा/
आराम तलब जिन्दगी छोड़ कर तुझे काँटों पे चलना होगा,
तुझे मेरे साथ सँभल-संभल के, इरादों से चलना होगा/
किस गली में, किस मोड़ पर तुम मिल गए थे?
आज भी तुझे मेरे नुक्कड़ का रास्ता याद रखना होगा/
आबशारे- जुल्फ को रोक कर, वादियों में मेरे साथ भटकना होगा,
अंजामें- वफा तुम क्या जानो? वफा कभी की हो तो समझ आए/
मेरे साथ तो तुझे फिसल-फिसल कर सँभलना होगा/ 
ज्यादा इंतजार तेरा कर नहीं सकता, मेरे पास वक्त कम है,
तुझे इंतजार में मेरे, मेरे रास्ते के पत्थर पे बैठना होगा/
मेरी दुनिया, मेरे दिल से निकल जाने वाले, ह स्र तेरा क्या होगा?
तू मेरी जान थी, अब भी तुझे मुझ पर भरोसा करना होगा/
माना मैंने तेरे लिए कोई कुर्बानी नदी, इस काबिल तू ही नहीं,
तुझे कम से कम आगे बढ़ने से पहले मेरी शख्स सियत को समझना होगा/
मेरी दुनिया में आग लगाने वाले तुझे समझना होगा,
मेरी राहों में काँटे बिखेरने वाले तुझे संभलना होगा/
सिर्फ फूलों की चाहत की थी, खुशबू पकड़ने का इरादा न था,
तुझे कागज का नकली फूल बन के ही आना होगा/
निशाना तेरा अचूक होता है, मुझे पहचानना होगा,
इक अपना आखिरी खत मेरे हवाले तुझे करना होगा/
कंकरीले- पथरीले, ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर तुझे चलना होगा,
राह मेरी है  मुश्किल, तुझे मेरा इम्तहान भी लेना होगा/
नकहते- गुल तुझे मुट्ठी में भर के अपने साथ लाना होगा,
आँखों के पैमाने के अश्क को शराब कर पिलाना होगा/
इतना तो कर सकती है, मेरे साथ चलने का वादा लेना होगा,
मेरे साथ- साथ तुझे मेरी मंजिल पर पहुंचना होगा/

      इंतजाम पहले ही कर लिया था तुमने,
      मेरी राह से अलग न होने का/
      तुम तो मंजिल तक पहुंच गए मुझे तो बस,
      अगले मोड़ तक ही आजमाना था/

           राजीव रत्नेश
       """""""""""""""""""""'"""""""""""""""""""""""""""

हम अपने शहर जाएँगे( कविता१)

हम तेरा शहर छोड़ के किधर जाएँगे!
बहुत हुआ तो अपने शहर जायेंगे!!
मालूम नहीं था दस्तूर तेरे शहर का,
इसलिए बेसरो सामान चले आए हैं!
अबकि गए तो लौट कर न आएँगे,
हम वापस अपने शहर जाएँगे!
तू रहना, दिल्ली की हवा तुझे मुबारक हो,
परी- बाजार मुबारक हो, दिल्ली दरबार मुबारक हो!
तब तक हमको याद न करना, '
मिलने का इरादा न करना,
तुझे मुद्दत से न जानते थे,
नई पहचान का क्या कहना!
एक अनजान सी शिद्दत से दिल तड़प उठा है,
याद किसी की आई है, अपने शहर जाएँगे!
आज भी तू मेरे लिए ख्याले - जन्नत है,
मैं तेरा दिलदार, तू मेरी मन्नत है!
तुझे ही चाहूंगा हर हाल,
अब तो तू मेरी किस्मत है!
रहना दिल्ली में गुलेचमन के साथ,
लिखा नहीं तेरा - मेरा साथ, अपने शहर जाएँगे!
दिल्ली की आबो-हवा, चाँदनी चौक मुबारक हो,
परी चौक मुबारक हो, दिल्ली- दरबार मुबारक हो!
तेरे साथ बहुत पेंग बढ़ाए हमने,
बहुत देर तक साथ निमाया हमने!
तू मेरे ख्वाबों की परी न हो सकी,
छोड़ के अकेला तुझे, अपने शहर जाएँगे!
कल किस बात की मुबारकबाद तूने दी थी,
याद नहीं कुछ, क्या बात तूने मुझसे कही थी!
अलबत्ता दिल का ये आलम है, लगता नहीं कहीं,
जिन्दगी की लगन मेरी, तुझसे न लगी थी!
बदहाली के मौसम में नकहते- गुल से दिल लगाएँगे,
दर्दै- दिल का मदावा करने अपने शहर जायेंगे!
शायद तुझको मंजूर नहीं मेरा ये फैसला,
पर इरादा मेरा न बदला है, न कभी बदलेगा!
तू डबल इंजन की सरकार का हिस्सा है,
तुमसे क्या दिल का अब मुझे लगाना है!
मजहबे- इश्क ने नहीं सिखाया मुझे, दिल लगाना,
तेरी हसीन वादियों से दूर अपने शहर जाएँगे!
मयकदा हो, दैरो-हरम हो या हो बुतखाना,
हमको अपने रिवाजों के दायरे में ही जीना!
सरे- शाम तू पिलाती है , जामे- शराब निगाहों से,
मुझे नहीं दामन में अपने अब दाग लगाना!
अंकुश में नहीं रहा दिल, अब किधर जाएँगे,
हो के हर सितम से आजाद अपने शहर जाएँगे!
किस किस्म की मिलती है शराब यहाँ,
कल जो पी थी, इतनी पुरानी न थी!
बोतल तुमने पिला दी, पर होश रहा बाकी,
मुझे तो नजरों के जाम से ही नशा आ जाता है!
हम नजरों को अता करने गुलाब अपने शहर जाएँगे! 
तेरे शहर से अनजान होकर अपने शहर जाएँगे
हुआ न नशा, हो गए कई दौरे- शराब अब तक!
होश रहेगा कायम, होगा न तेरा दीदार जब तक!     
           राजीव रत्नेश
         """"""""""""""""""""""
तेरे शहर से अनजान होकर, अपने शहर जाएँगे!!

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!