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काश तूने किसी से प्यार किया होता,
मुझे छोड़ के जाने का फिर फैसला किया होता/
चली जाती तो चली जाती, छोड़ अकेला मुझे,
मैंने तेरा साथ निभाने का न वायदा किया होता/
कलियाँ चटकती हैं बहारों में, फूल खिल- खिल जाते हैं,
जाने से पहले काश! गुल्शन का नजारा किया होता/
जुल्मी जमाना हो तो क्या मेरा भी भरोसा न था तुझे,
महफिल छोड़ जाने के पहले मुझे इशारा तो किया होता/
जवाब में तेरे हाथ का पत्थर आता, जो तुझे रोका होता,
जाने से पहले तो कम से कम न तमाशा किया होता/
भँवरे हैं बेसुध, उनको रंगत नहीं मिलती खिजां में,
अखरता हमें भी, कुदरत ने जो ये करिश्मा किया होता/
हम तुम साथ साथ थे, पहले तूने हाथ न छुड़ाया होता,
कश्ती है बीच भँवर में, काश! तूने न किनारा किया होता/
मुहब्बत का तगादा भी तो तुझसे, करते न बना मुझसे,
पहले काश! अपनी नजरों का तुमने मुझे निशाना किया होता/
हम देर से समझे, अपना मतलब थोड़ा पहले बताया होता,
हमको गैर समझा था तो, दिल में न तुमने बसाया होता/
नजरों का धोखा ही होता है मृगतृष्णा का सरोवर,
काश! किसी अंजान पथिक को तूने रास्ता बताया होता/
गर्म आँसू टपके मेरी आँखो से सर्द कोहरे में भी,
राह में रोक काश! तूने आँचल का सायबां किया होता/
तेरे जाने से पहले तेरा रास्ता हम रोक देते" रतन"
गर जो दिल ने अपना कुछ हौसला किया होता//
राजीव" रत्नेश"
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