Wednesday, December 17, 2025

दिल से तेरा ख्याल ( कविता)

दिल से तेरा ख्याल ( कविता)
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दिल से तेरा ख्याल भुलाया न जाएगा,
तेर न मिलने का मलाल भुलाया न जाएगा,
कितनी दूर दिल के चली गई तू,
रुख का तेरे हिजाब अब भुलाया न जाएगा/

मेरी गजलों की शक्ल तुझसे मिलती है,
मेरी आरजुओं की नज्म तू समझती है,
मैंने तुझसे ही मुहब्बत की है, दिल जानता है,
मेरे सिवा किसी और की है, न दिल मानता है/

जज्बात तेरे अहसास का भुलाया न जाएगा,
दिल से तेरा ख्याल मुझसे भुलाया न जाएगा/

निकल आ बाहर अब तू रिवाजों की भी भीड से,
मैं तुझे ले जाऊँगा कंदराओ कंदराओं की नीड़ में,
बलवले- दिल मैं बस तुझको ही पेश करूंगा,
आजा बस तू पास सारे रस्मों को तोड़ कर/

तेरा प्यार किसी तरह भुलाया न जाएगा,
रुठे हुए तेरे बाप को मुझसे मनाया न जाएगा/

सख्त हुआ है जमाना, गली प्यार की सुनसान है, 
अभी तक घायल मेरे दिल का अरमान है,
तुझे ही चाहता हूँ, अच्छी तरह तू समझती है,
प्यार की राह में मील का पत्थर है, इमकाने- प्यार है,

मुझसे अब और तेरा गम उठाया न जाएगा,
दिल से तेरा ख्याल मुझसे भुलाया न जाएगा/

दिल का झटका, ख्यालों की मौज है तू,
मेरे अफसाने का इक हसीं मोड़ है तू,
नजरे-इनायत है हमेशा तेरी मुझ पर,
दो दिलों का दो प्लस दो चार है तू/

नजराना तेरा अब मुझसे भुलाया न जाएगा,
अक्स दिल से अब तेरा मिटाया न जाएगा/

दिल में तू खुशबू बन कर अभी तक समाई है,
जिन्दगी में मेरी तू ही पहली बार आई है,
मैं किस तरह से तुझे अब समझाउँ, रश्के - कमर,
तेरे आने से जिन्दगी मेरी किस तरह मुस्कराई है/

टूटा हुआ दिल लगता है, अब जुड़ न पाएगा,
दस्तूर- ए- मुहब्बत तुझसे अब निभाया न जाएगा//

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Saturday, December 13, 2025

तुम कहती हो, तुम्हारा इंतजार न करूँ ( कविता)

तुम कहती हो, तुम्हारा इंतजार न करूँ ( कविता)
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तुम मेरा दिल चुरा ले गई है, और कहती हो,
                              तुम्हारा इंतजार न करूँ/
प्यार के अफसाने में, ऐसी तपिश लाई हो,
                               क्यों पर्दाफाश- ए- राज न करूँ?

तुम्हारे बिना उकताहट हद से बढ़ी जाती है,
                               तुम्हीं बताओ क्या करूँ,
जमाने के सामने, चाहती हो न तुम्हारे,
                               बयाने- अल्फाज करूँ/

रात के अँधियारों में तेरी तस्वीर रह रह कर,
                                मेरे सामने उभरती है,
कैसे अफसाने को तूल न दूँ, और तेरे बिना भी,
                                कैसे सरगमे- आलाप न करूँ/

ये सोच कर, इक दिन तो लौट के मेरे पास ही,
                                 तुमको तो आना ही है,
छोड़ कर दर्दे- एहसास को कैसे तुझे मैं अब,
                                  जुदा- ए- कारसाज न करूँ?

जगमग जलती- बुझती रौशनियों तले भी, तेरा ही,
                                  इंतजार रहता है मुझको,
कैसे तुझे भूल जाऊँ और कैसे तेरा अब और
                                  इंतजार न करूँ?

जानता हूँ प्यार में एक दिन ये जान भी जा सकती है
                                चुहल बाजियाँ तेरी असर ला सकती हैं,
अपने आप मेरी महफिल में तू खुद - ब- खुद आ सकती है,
                                 तेरी तस्वीर दिलो-दिमाग में है/

किस तरह साजे- मुहब्बत छेड़ने से रोकूँ, मैं खुद को,
                                 सरेराह तू मेरी निगाह में है,
किस हाल तुझे अपने से दूर समझ सकता हूँ,
                                 तू आफताबो- माह में है/

तेरे मगरूर दिल का नजारा किया मैंन, फिर भी,
                                 किनारा न किया तुमसे मैंने,
नजर अंदाज तुझे, किस तरह मैं कर सकता हूँ, रक्स करती तू
                                  सरोवर- ताल में है/

जमाने की नजर कहीं अकेले न तुझे ही लग जाए,
                                   इसलिए हिचकता हूँ,
तुझे हिदायत देते भी कपकपी छूटती है मेरी,
                                     इक कड़क छिपी तेरी आवाज में है/

इतना लचीला पन छिपा तेरी इक इक अदा में है कि
                                      तरन्नुम में तुझे ढाल सकता हूँ,
मेरी बाहों के घेरे में आ जा बस एक बार के लिए ही,
                                       क्या बात तेरे गाल में है?

दूरी हद से बढ़ी जाती है, अब तो तेरे मेरे बीच खल्वत की
                                        कैसे तुझे चालबाज चाल बाज न कहूँ,
कैसे तू मुझे आबाद न करे, मैं तुझे निहारुँ ही केवल,
                                         कुछ खास बात तेरी बात में है/

तुम मेरा दिल चुरा ले गई हो, और कहती हो मुझसे,
                                         तुम्हारा इंतजार न करूँ,
किस हाल में तुमसे दूर रह सकता हूँ तू कहती है
                                          तुमसे उम्मीदे जज्बात न करूँ

बागों में बोलती है जब कोयल, इक हूक सी मेरे
                                           अनजाने में निकलती है,
तू मेरी जिन्दगी है, बहारे- गुल है, भरी अभी तक
                                             नाजो अंदाज में है/

कलियाँ चटकती हैं बागों में, सय्याद मुझसे पूछता है,
                                              कि मेरी बुलबुल कहाँ है,
जिससे चमन था गुलजार, वो कली अब कहाँ है,
                                              मेरी ख्वाबों की परी कहाँ है?

सोचता हूँ उससे, सारी बातें अब बता ही दूँ
                                              कि तू अंजुमने- नाज में है
समंदर की लहरें शांत हो गईं पर वह अभी तक
                                             मेरे ख्याल में है

कितनी रातों की सुबह भी हो गई पर तकदीर का
                                           अँधेरा मुस्तिकल है,
वो मेरी जोहरा जबीं कहती है कि अब मैं उसका,
                                             दीदार न करूँ

तुम मेरा दिल चुरा ले गई हो और कहती हो,
                                             तुम्हारा इंतजार न करूँ,
कुछ बोलूँ भी न तुमसे और न ही पास आऊँ,
                                             कोई खतरनाक इरादा न ईजाद करूँ//

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शायद तुम कल आओ ( नज्म )

शायद तुम कल आओ ( नज्म )
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रोज सबेरा,
आशा का एक नया सूरज
उगा जाता है/
कि कल तुम नहीं आई,
आज जरूर आओगी,
दिल को दिलासा दे जाता है/

मैं जानता हूँ कि,
यह सूरज भी डूब जाएगा,
पर मेरा इंतजार खत्म नहीं होगा/
कल फिर नये,
सूरज के इंतिजार में,
झील किनारे बैठा रहूँगा/

कँकरियाँ फेंकते बैठा रहूंगा,
झील के किनारे,
गहरे पानी में तुम्हारा अक्स,
उभरेगा झील में,
तुम पीछे से आकर,
मेरी आँखें मूँद लोगी/

और मेरे गले में,
बाहें डाल कर कहोगी,
' कबसे बैठे हो?
चलो घर चलो?
पर सूरज तो कब का,
ऊपर चढ़ चुका,
पर तुम न आए/

अब कल सबेरे का,
मुझे इंतजार रहेगा,
" शायद तुम कल आओ"

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फिर मिलने की दुआ करना ( गजल)

फिर मिलने की दुआ करना ( गजल)
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दिल में दर्द दिया है, तो दरमां भी करना/
मेरी अधूरी हसरतों को, मेहमां भी करना/

कसूर क्या हुआ, इतने सख्त जां कैसे हुए,
हमको आता है, हक दुश्मनी का भी अदा करना/

चौराहे पे खड़े हैं लोग, हाथों में सलीब उठाए,
हमको आता है, प्यार में जां  कुर्बां भी करना/

तलिख्यों का मौसम तो गुजर भी गया अब तो,
आता है हमको प्यार के शजर का हरा भी रखना

तुम कुछ भी समझो, हम बेपर की ही उड़ाते हैं,
हम जानते हैं अशआरों में समंदर को सहरा भी लिखना/

कहानियों में मोड़ तो यकीनन आते ही होंगे,
हम जानते हैं प्यार के संगीत से बहरा भी करना/

तेरे वालिद को भी अता किए ढ़ेरों गुलाब मैंने,
पर आया नहीं, अपनी गजल का कद्रदां भी करना/

प्यार के सफर में धूप तो बहुत कड़ी होती होगी,
मुझे सुकूं देना, मेरे सर पे आँचल का सायबां भी करना/

छूट गए मेरे सारे संगी साथी, बला के तूफान में,
तुम तो मुझसे प्यार का सिलसिला भी रखना/

प्यार की राह में जाने कहाँ बिछड़ गए तुम,
" रतन" से फिर आ मिलने की दुआ भी करना//

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तर्के- ताल्लुक ( कविता)

तर्के- ताल्लुक ( कविता)
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बिना सोचे-समझे तुमने तर्के- ताल्लुक किया,
आँधियों को इश्क की जानिब मोड़ दिया,
कितना खतरनाक तुम्हारा इरादा हो गया,
मुझे ही नेस्तनाबूँद करने का तुमने सोच लिया/

तुम्हारे प्यार का इशारा, सबके सामने खुला था,
अकेले में तुम्हारे इश्क का प्रपात सूख जाता जाना था,
हिम्मत थीं तो आगे बढ़ आती इजहारे- इल्तफात में,
ऐसे तो तेरी-मेरी मुलाकात का सूरज डूब जाता था/

मैं चाहता था तुमको, बाहों की वरमाला पहनाना,
अपने सीने से लगा के, तुम्हें चाहतों में उलझाना,
सितारे गर्दिश में जरूर थे, मगर इतने भी न थे,
कि सिरे से ही तुम्हारा प्यार की राहों से हट जाना/

मेरी कुछ मजबूरियाँ थीं, तुम्हारे साथ ऐसा न था,
पहले तो तुम्हारे प्यार में कोई बड़ा तमाशा न था,
जाने- गुलबदन तेरा मेरा फसाना ये किस मोड़ पे आया,
मैं तुमसे दूर- दूर रहूँ, पहले तो ये तुम्हारा इरादा न थ/

जाने किस बात का मुझसे बदला निभा रही हो,
जाते-जाते भी मुझसे नजरें फिरा रही हो,
गफलत में भी मुझसे ऐसा करते नहीं बनता,
तुम जान बूझ कर मेरी तरफ से नजरें घुमा रही हो/

मैं भी तुम्हें भूल जाऊँगा, चाहे तो भुलाने की कसम ले लो,
न रोकूँगा कभी तुम्हें राहों में, अपनी कसम ले लो,
इतना खुदगर्ज नहीं मैं कि तुम्हें भुला भी न सकूँ,
लौट केन आऊँगा प्यार की राहों में कसम ले लो/

मुहब्बत की मारी तुम थी, चलो सस्ते में छूट गई,
सू- ए- मजिल की राह के पहले मोड़ से मुड़ गई,
पहले से जानता था, इश्क की ताब सहने की आदत नहीं,
तेरी बेवफाई की एक कहानी फलसफे से जुड़ गई/

जमाना तो मुद्दई रहा है हमेशा से मुहब्बत का,
यह बात तुमने देर से जानी और खुद समझ गई,
हम तुम नदी के किनारों की तरह मिल नहीं सकते,
सोच समझ कर ही तुम बीच भँवर फँस गई/

किताबे- मुहब्बत का सूखा फूल समझ फेंक दिया,
अपने से दूर तुम्हें दूसरे शहर खुद ही भेज दिया,
दिल न भरमा सको अब किसी हाल तुम मेरा,
यही सोच तुमसे मिलना जुलना भी खत्म कर दिया/

बेहतरीन कली थी तू मेरे पास गुलाब की,
परवाह न की कभी मैंने सूरज के आँच की,
जब तेरी मर्जी होती थी, तू मिलने चली आती थी,
माला जपती थी मेरे नाम से, अपने श्वासोच्छवास की/

तुम मजबूर हो गई थी तो मैं तो पहले से मजबूर था,
मगरूर थीं तुम्हीं मुहब्बत में, मैं कोसों तुमसे दूर था,
जाने क्या सोच तुमने झूले की पेंग मुझ तक बढ़ाई थी,
दिल मेरा तो पहले से ही मानिन्द तायरे- मजरूह था/

खड़ी थीं बालियाँ जौ की खेतों में, दाने फूट रहे थे,
हमारे तुम्हारे बारे में लोग जाने क्या- क्या कह रहे थे,
खेतों के बीच आकर तुम मिला करती थी मुझसे,
" रतन" से आके लोग मुहब्बत के अफसाने सुन रहे थे//

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उनको इंतजार का मांग में उनकी सिंदूर मैं भरूँ,
मुझे ये इंतजार सर तो पहले वो खुद झुकायें//

                राजीव" रत्नेश"
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Friday, December 12, 2025

हम तुम मिलेंगे क्या कभी( शेर)

हम तुम मिलेंगे क्या कभी?( शेर)
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रौशन है चाँद, झिलमिलाते सितारों की चादर ओढ़कर,
हम तुम भी मिलेंगे क्या कभी, जमाने की चाहत छोड़ कर/
किस्स- ए- कैशो- लैला, शीरी-फरहाद अधूरे ही रह गए,
तुम बताओ दो दूनी चार छोड़ कर, मिलेंगे क्या दो दो चार जोड़ कर//

              राजीव" रत्नेश"
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Friday, December 5, 2025

तेरी बात तुझसे ( कविता)

तेरी बात तुझसे
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ऐ मुहब्बत तू मेरी जानी-पहचानी है,
इक तिरी तस्वीर ही मेरे पास तेरी निशानी है,
कभी चमकती है, कभी गोल चक्कर लगाती है,
नथ तेरी सितारों की तरह झिलमिमाती है/

दिल के सहरा पे हुई थी इनायते- सावन कभी,
ऐ जाने- बहारां आई थीं खुद तू मेरे पास कभी,
दिलजलों की भी नजर थी तिरे हुस्न पर,
रजामंदी तेरी सुनने को तरसते थे मेरे कान कभी/

जी चाहता है, रोजो- रोज तुझसे बातें होती रहें,
अंगड़ाइयाँ तिरी रहें सलामत, मुझसे मुलाकातें होती रहें,
झीना काला दुपट्टा तेरे बदन पे यूँही फबता रहे,
गोरी कलाइयों से कंगन की आवाजें आती रहें/

बदले मौसम की सुहानी रुत तुझे मुबारक हो,
मिरे दिल पे रोज तिरी दस्तके- इबादत हो,
दूर मुझसे जाने की तू सोच न पाए कभी,
अगर होनी है तो सिर्फ तिरे लिए ही मेरी शहादत हो/

तिरे चेहरे की मुस्कराहट पाने को दिल तरसता है,
तिरी आँखों की बरसती शोखी को दिल तरसता है,
पाजेब तिरी छनकती है, हलचल सी दिल में होती है,
तु भी समझ जा, तिरा प्यार पाने को दिल तड़पता है/

नजर झुका के ही तू जाने क्यूँ मुझसे बात करती है,
बातों ही बातों में तू प्यार का इजहार करती है,
कितनी भोली और मासूम, बड़ी कमसिन है तू,
सुब्ह सूर्यरश्मि तेरे माथे पे छितरा, तेरा इस्तकबाल करती है/

अब कब तिरा दीदार मयस्सर होगा, बेताब नजर को,
कब मिरे साथ का अहसासे- तसब्बुर होगा तुझको,
मुहब्बत की अजमत की रानाइयों का असर होगा तुझको,
तेरी इक भोली चितवन के बदले, दिलो- जां निसार होगा तुझको/

आलम हो खुशगवार, अगर तू मिरी महफिल में आए,
चरागा रौशन हों फिर से, जो तू महफिल में आए,
फिर जाम से जाम टकराएँ, जो तू महफिल में आए,
सबकी निगाहें उठ जाएँ तेरी तरफ, जो तू महफिल में आए/

तेरी तरफ निगाहें हों और लबों पे हो खामोशी,
काश! इसी तरह नजर आए तेरी धड़कनों की सरगोशी,
तुझे उठा कर बाहों में भर लूँ, देख तेरी मदहोशी,
वो दिन न दिखाए मुकद्दर तुझे, देखे तू मेरी सरफरोशी/

जिस दिल से दूर तिरा तसव्वुर होगा,
खत्म हो जाएगा हुनर इक मुसव्विर का,
हालात की बदगुमानी तुझे न वो दिन दिखाए,
पलट आए सय्याद, तुझे कफस में फँसाए/

हालाते- नाजुक से अब कौन निजात दिलाए,
करूँ जतन किस तरह तू मेरे पास आए,
मिलने की तमन्ना में और दूर हो गए हैं,
दस्तूरे-इश्क है, जो ढल अश्क तेरे गाल पे आए/

तिरी मिजाजपुर्सी में दिल्ली से दौलताबाद जाएँगे,
लगेगी ठोकर तो अपने शहर इलाहाबाद आएँगे,
तू साथ देगी तो साथ जिएँगे, साथ मरेंगे,
सुकूने- दिल के लिए तेरे साथ इबादतगाह जाएँगे//

             राजीव" रत्नेश"
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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!