Saturday, July 26, 2025

किसकी मजाल है?( कविता)

आ आ के न देख, बार- बार आके न देख, अपनी मुहब्बत की निशानी/
तेरी उल्फत गुल खिलाये जाती है, करामाती तेरी जवानी/
न मुझे होश था, न अपनी दीवानगी को ही होश था,
उस पर तू खामोश है, याद नहीं क्या पशेमानी भी अपनी/
तू ही मुहब्बत की याद दिलाती है, यकीं नहीं मुहब्बत का मुझे,
उस पर नखरा ये है कि मानते नहीं, किस कदर मुझ पर रात है भारी/
मुहब्बत तेरी याद दिलाती है, हक की अच्छी है पुरानी शराब भी,
बस लेबल हो नई शराब का, अच्छी तरह जानती है मुझे मेरी साकी/
तेरा हाल भी तुझे मैं ही बताऊँ, ये बात हक की नहीं तेरे,
क्या करें, तेरे बिना दिल लगता नहीं मेरा भी कहीं/
आ जाओ, याद तुझे हम भी, अभी भी करते हैं, तहे-दिल से सही,
आके इक बार तो आजमा ले, फिर से आके मुहब्बत मेरी/
तेरी मुहब्बत तेरी याद दिलाए जाती है, क्या करें समझ आता नहीं,
तुम्हें ही दिल में बसाए हैं, याद तुझे ही हर पल करते हैं अभी/
ये रात मेरी ही रात नहीं, आ जाओ तुम्हारे बिना कटती नहीं,
मुझको छोड़ दो मेरे हाल पर, होश आया तो सुध लूँगा तुम्हारा भी/
मेरी किस्मत पर मुझे छोड़कर, जाना हो तो चली जाना तुम,
सलामत रहा तेरा मयखाना, तो आऊँगा दो घूँट चढ़ाने कभी/
रुखसते- मयकदा रहे यार तेरा, उसे मुझे तमीज दिखानी भी नहीं,
घायल होते उससे जज्बात मेरे, तू चाहे उसे, जिगर है मेरा फौलाद नहीं/
किसकी मजाल है, तुम्हें हाथ लगा के मेरे सामने देखे" रतन",
महफिल से जाने के सिवा उसके पास, छोड़ूँगा कोई चारा भी नहीं/

                    राजीव रत्नेश
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