Wednesday, July 30, 2025

उसे ही अपने दिल में बसाया

उसे ही अपने दिल में बसाया( कविता)
****************"************
प्यार में तो मर जाना भी अच्छा,
बिना प्यार आखिर जीना क्या?
नजर में तसव्वुर तेरा है,
तेरे सिवा कोई ठिकाना क्या?
तू ही थी मेरी भी आरजू,
किसी और से दिल लगाना क्या?
समंदर की लहरें भी शांत हो गईं,
अब मेरी तरफ से तूफान उठाना क्या?
ख्यालों में मेरे चाँद सा तेरा चेहरा था,
चाँद फीका पड़ा, चाँदनी में तेरा नहाना क्या?
हम तो बादे- नसीम है गुलजार के,
कली का भँवरों से अब शरमाना क्या?
तेरा निशाना ही जब सय्याद हो,
तुझसे कहने को पास मेरे बचा क्या?
किसी ने लिख दिया मयकदे की दीवार पे,
' कमजर्फ को शराब पिलाना क्या'?
तगड़े- तगड़े जाम पी लिया हो जिसने,
उसे लाद के घर तक लाना क्या?
मुहब्बत की बारीकियाँ तू ही जाने,
मेरे बिना पूरा होगा तेरा अफसाना क्या?
जाने न जाने तू, मदहोश थे सारे,
पैरों- पैरों गया था, पैरों- पैरों लौटना क्या?
तिकड़म साकी ने बहुत लगाई पिलाने की,
पर नाहक की पीना मुझे गँवारा क्या?
जब तेरी मदमस्त आाँखों से पिया,
उस नशे का मौत के पहले उतर जाना क्या?
मैंने आज तक किसी को बेवफा न कहा,
किसी का वफा का सबक मुझको पढ़ाना क्या?
" रतन" ने उसे ही अपने दिल में बसाया,
जिस पर हक न था, उसे अपना बनाना क्या?

      राजीव रत्नेश
*****************

No comments:

About Me

My photo
ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!