उनकी खुशी और गम में होते रहे हमेशा शामिल/
इतनी दूरी हो गई है, उन अहबाब से-------
दो मुठ्ठी खाक भी नसीब न होगी वक्ते- दफ्न//
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" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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