Tuesday, July 1, 2025

आखिरी विदाई( शेर)

जिन्दगी भर जिनकी मोहब्बतों का सिला देते रहे,
उनकी खुशी और गम में होते रहे हमेशा शामिल/
इतनी दूरी हो गई है, उन अहबाब से-------
दो मुठ्ठी खाक भी नसीब न होगी वक्ते- दफ्न//
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