Friday, November 7, 2025
चुनाव एक नजर में**** लेख******यूँ तो लोक सभा चुनाव में ज्यादा शोर-शराबा होता है पर अंतराज्यीय चुनावों में भी कम झमेला नहीं होता है/ बिहार में 4 और 7 नवंबर 2025 को दो चरणों में चुनाव होना है/मैनिफेस्टो पहले INDIA का आया और फिर आज हड़बड़ी में NDA का/पर दोनों के वायदों में मुझे कोई खास फर्क नहीं नजर आया, पर INDIA में मुझे एक फर्क साफ नजर आया कि उसमें old pension scheme को शामिल किया गया है, जो कि विशेष है/ बिहार में चुनाव प्रचार चल रहा है,डंडेबाजी चल रही है और अफरा-तफरी का माहौल है/ FIR की जा रही हैं पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता जी अभी तक भी मौन साधे हुए हैं उनकी ओर से अभी तक कोई वक्तव्य नहीं आया है/ पतानहीं बिहार में SIR पूरा हुआ भी या नहीं/ वहाँ पर अभी भी जनता- जनार्दन को दस-दस हजार एडवांस रिश्वत सत्ताशीन पार्टी की तरफ से दी जा रही है/ सब कुछ अनहोनी तो हो रही है पर ज्ञानेश कुमार अभी तकस्तब्ध हैं, उनकी कोई उद्घोषणा नहीं है/ पता नहीं Supreme court क्या कर रहा है, कुछ कर भी पा रहा है कि नहीं, क्यूंकि अभी कल ही chief Juslice B. R. Govo i ने अपने charge नये chief Justice को दिया है/ क्या चुनाव आयोग सबको अनसुना कर अपनी ही हाँके जा रहा है/ विपक्ष ने फिर से आस्तीनें चढ़ा ली हैं/ सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने SIR के साथ ही पूरे देश में जातीय जनगणना के लिए बिगुल फूँका है/ हो सकता है निकट भविष्य में उनकी यह माँग जायज मान ली जाए/ राहुल गाँधी ने जातीय जनगणना कराने की सदन में प्रतिज्ञा कर डाली थी/ राजनीतिज्ञों का मानना है कि इससे एक पंथ दो काज सिद्ध होंगे/ बिहार चुनाव का परिणाम देश की दिशा और दशा दोनों तय करेगा/ अभी तक चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करता आ रहा था----एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी/बिहार में SIR का क्या हुमा यह तो तेजस्वी जानें/ देखना ये है कि देशव्यापी SIR का क्या बनता-बिगड़ता है/ ताजातरीन रिपोर्ट ये है कि बिहार में सत्तापक्ष और विपक्षी दलों में लाठियाँ चल रही हैं/महाराष्ट्र में वोट- चोरी को लेकर जुलूस निकालने की परमिशन नहीं दी गई है/ बिहार में इलेक्शन की तारिख तय है/ धड़ाधड़ FIR हो रही हैं पर चुनाव आयुक्त की कोई प्रतिक्रिया अभी तक तो नहीं आई है/ SIR का क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट का क्या हुआ? एक ही शहर में अनजान तू अनजान मैं/ ठहरने को एक रात को सरायढूँढ़ते हैं// घोषित इमरजेन्सी भी हमने देखी है/ लिखने पर प्रतिबंध था/ लोग स्थायी और अस्थायी जेलो में पढ़ा-लिखा तबका बंद किया जा रहा था/ संजय गाँधी की उच्चखि् लता और उद्दंदता के कारण इमरजेन्सी की भयावहता बढ़ गई थी/ डाक्टरों और पुलिस वालों को पुरुषों की नसबंदी कराने का टारगेट दिया गया था/ कितने प्रोफेसर, लेक्चरार मौत के मुँह में चले गए/ पूरे देश में क्रान्ति हो गई/चुनाव में राजनारायण जीत गए, इंदिरा गाँधी दुबारा काउंटिंग में भी हार गईं/ सर मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री बने/ ढ़ाई साल का उनका वह शासन आदिम युग से लेकर आजतक का पहली और आखिरी बार रामराज्य और स्वर्ण- युग कहा गया/ जनता रोटी, कपड़ा और मकान के लिए खस्ताहाल न थी/ चीजें बहुत सस्ती थीं/ पर मध्यावधि चुनाव होने पर श्रीमती इंदिरा गाँधी पूर्ववत् प्रधान मंत्री बनीं/ वह घोषित इमरजेन्सी थी थी पर आज कल तो अघोषित इमरजेन्सी है/ ED, CBI और IT के डर से साधारण जनता से लेकर बड़े बड़े मिनिस्टर तक सत्ताशीषों से डरते रहते हैं/ डर दिखा कर पार्टी बदलवा दी जाती है, जिसने सीना ताना उसके पीछे सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया गया/ आजकल जरा-जरा सी बात पर ----कोई भी किसी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कायम करवा सकता है यह कह कर ही कि आज से साल भर पहले इसने मेरी माँ को अपशब्द कहे थे/ भले उसकी कोई माँ न हो और वोआस्मान से टपका हुआ सितारा ही क्यूँ न हो/
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