Friday, December 5, 2025

तेरी बात तुझसे ( कविता)

तेरी बात तुझसे
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ऐ मुहब्बत तू मेरी जानी-पहचानी है,
इक तिरी तस्वीर ही मेरे पास तेरी निशानी है,
कभी चमकती है, कभी गोल चक्कर लगाती है,
नथ तेरी सितारों की तरह झिलमिमाती है/

दिल के सहरा पे हुई थी इनायते- सावन कभी,
ऐ जाने- बहारां आई थीं खुद तू मेरे पास कभी,
दिलजलों की भी नजर थी तिरे हुस्न पर,
रजामंदी तेरी सुनने को तरसते थे मेरे कान कभी/

जी चाहता है, रोजो- रोज तुझसे बातें होती रहें,
अंगड़ाइयाँ तिरी रहें सलामत, मुझसे मुलाकातें होती रहें,
झीना काला दुपट्टा तेरे बदन पे यूँही फबता रहे,
गोरी कलाइयों से कंगन की आवाजें आती रहें/

बदले मौसम की सुहानी रुत तुझे मुबारक हो,
मिरे दिल पे रोज तिरी दस्तके- इबादत हो,
दूर मुझसे जाने की तू सोच न पाए कभी,
अगर होनी है तो सिर्फ तिरे लिए ही मेरी शहादत हो/

तिरे चेहरे की मुस्कराहट पाने को दिल तरसता है,
तिरी आँखों की बरसती शोखी को दिल तरसता है,
पाजेब तिरी छनकती है, हलचल सी दिल में होती है,
तु भी समझ जा, तिरा प्यार पाने को दिल तड़पता है/

नजर झुका के ही तू जाने क्यूँ मुझसे बात करती है,
बातों ही बातों में तू प्यार का इजहार करती है,
कितनी भोली और मासूम, बड़ी कमसिन है तू,
सुब्ह सूर्यरश्मि तेरे माथे पे छितरा, तेरा इस्तकबाल करती है/

अब कब तिरा दीदार मयस्सर होगा, बेताब नजर को,
कब मिरे साथ का अहसासे- तसब्बुर होगा तुझको,
मुहब्बत की अजमत की रानाइयों का असर होगा तुझको,
तेरी इक भोली चितवन के बदले, दिलो- जां निसार होगा तुझको/

आलम हो खुशगवार, अगर तू मिरी महफिल में आए,
चरागा रौशन हों फिर से, जो तू महफिल में आए,
फिर जाम से जाम टकराएँ, जो तू महफिल में आए,
सबकी निगाहें उठ जाएँ तेरी तरफ, जो तू महफिल में आए/

तेरी तरफ निगाहें हों और लबों पे हो खामोशी,
काश! इसी तरह नजर आए तेरी धड़कनों की सरगोशी,
तुझे उठा कर बाहों में भर लूँ, देख तेरी मदहोशी,
वो दिन न दिखाए मुकद्दर तुझे, देखे तू मेरी सरफरोशी/

जिस दिल से दूर तिरा तसव्वुर होगा,
खत्म हो जाएगा हुनर इक मुसव्विर का,
हालात की बदगुमानी तुझे न वो दिन दिखाए,
पलट आए सय्याद, तुझे कफस में फँसाए/

हालाते- नाजुक से अब कौन निजात दिलाए,
करूँ जतन किस तरह तू मेरे पास आए,
मिलने की तमन्ना में और दूर हो गए हैं,
दस्तूरे-इश्क है, जो ढल अश्क तेरे गाल पे आए/

तिरी मिजाजपुर्सी में दिल्ली से दौलताबाद जाएँगे,
लगेगी ठोकर तो अपने शहर इलाहाबाद आएँगे,
तू साथ देगी तो साथ जिएँगे, साथ मरेंगे,
सुकूने- दिल के लिए तेरे साथ इबादतगाह जाएँगे//

             राजीव" रत्नेश"
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