हम तुम मिलेंगे क्या कभी?( शेर)
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रौशन है चाँद, झिलमिलाते सितारों की चादर ओढ़कर,
हम तुम भी मिलेंगे क्या कभी, जमाने की चाहत छोड़ कर/
किस्स- ए- कैशो- लैला, शीरी-फरहाद अधूरे ही रह गए,
तुम बताओ दो दूनी चार छोड़ कर, मिलेंगे क्या दो दो चार जोड़ कर//
राजीव" रत्नेश"
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