Monday, February 10, 2025

baat itnee hai ki .

 मधुमक्खी   पलट   गई   शहद   के   बिना ,

शहद   मिला   नहीं ,और वो   उड़   न सकी ,

तुमने   पास   बुलाया   या    पर  दिल   से ,

मेरे   से   ना   तुम   जुड़े   ना   वो   जुड़  सकी। 

परवाने   को  तुमने   बुलाया ,शमा   ने नहीं 

आग  दिल  में  थी ,तुम  बुझा   न   सकी। 

दरयादिल   बहुत   थी   तुम ,पर   दिल   को 

मेरे   तुम  सुकून   दे   ना    सकी ,

पास   आकर   फुर्र   हुई ,आतिशे -दिल ,

बुझाना  तुम्हारे  वश  की  बात  ना   थी। 

फिर भी   पास   परवाने  को बुलाया 

दिल  पहले  ही   थी  हार   चुकी 

बातों ही  बातों में  साथ  चलने  को तैयार हुई 

फिर भी साथ तुमसे निभाया न  गया 

खुद होकर सवार किश्ती पर साथ मेरा छोड़ गई। 

बुलाना फ़र्ज़ था ,सो मुझको बुलाया था 

पास आने पर हिसाब बराबर कर दिया ,

आग जो दिलोजिगर में तुमने लगाया था 

पर कभी तुमसे इज़्हारेमोह्हबत न हुआ 

इतनी दूर थी कि हाथ भी तुमसे मिलाया न गया। 

लौट के अब करीब आओ ,पास न पाया तो वो उड़ न सकी 

तुम्हारे बिना औकात किसी की क्या थी ,

तुमसे पूछे बिना वो उड़ न सकी 

अबकि आना तो बुलाना मुझे भी 

उसके साथ तुमको पाकर बड़ी मुश्किल होगी ,

जो तुमसे पूछे बिना  वो उड़ न सकी। 

पर काटे थे तुम्हीं ने ,मेरे और उसके भी ,

ये बात तुम्हारी समझ में कभी न आई ,

पास बुलाया भी तो इशारे से ,बिना इशारा वो उड़ न सकी। 

सलामत तुम्हीं से तुम्हारा सनमख़ाना था ,

यही तुम्हारी आरज़ूओं का नजराना था ,

दूर जाने का इरादा तुम्हारा था 

पास आकर दूर जाना इस तरह कि वो उड़ न सकी। 

ना पाकर तुम्हें छोड़ दिया था सूरतेहाल पर ,

कोई पछतावा तुम्हें न था ,दूर जाकर भी 

क्या करता मेरे बिना भी तुम उड़ न सकी। 

हाल ये कि बेहाल और बेताब थी महफ़िल ,

तुझे देख पाने का हर इरादा हवा-हवाई हुआ ,

तुम्हारे बिना भीड़ भौरों की फिर कभी जुट न सकी ,

मधु -मक्खी तुम्हारे सहारे के बिना उड़ न सकी। 

ये कैसा रोग परवाने को इश्क का तुमने लगाया था ,

मरता था तुम पर ;किसी से न कुछ कहता था ,

न किसी की सुनता था ,दिल में कुछ और था 

जबां पर दस्ताने -दिल के सिवा भी कुछ और था। 

ये सच था कि तुम्हारे सहारे के बिना वो उड़ न सकी। 

बंद कली थी कमल की तुम ,मंदिरों में बसेरा था ,

शस्य -श्यामला लक्ष्मी की विरासत थी तुम्हीं ,

पर ये भी तुमको रास न आया ,क्योंकि तुम्हारे बिना ,

आग दिल की बुझ न सकी ,तुम्हारे बिना वो उड़ न सकी। 

हाले -दिल-अब न तुझे कभी तुझे बताऊंगा 

बेवफा है तू ,हर हाल में न कभी तुझे अपना बनाऊँगा 

बात बात की बात में तुम बुरा मान जाती हो 

और जी जान से दुश्मनी ठान लेती हो ,

बस बात इतनी है कि तुम्हारे बिना वो उड़ न सकी। 


-----------------  ----------      -------------राजीव  रत्नेश 

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