Wednesday, February 12, 2025

usko bhula de bhai....

उसकी मोहह्बत किस मोड़ पर लेकर तुमको आई ,

भुलाते बने तो अब भी उसको भुला दे भाई। 

माज़ी को भूल जा ,फ़र्दा की कर फ़िकर ,

आवारा गलियों में उसको ढूँढ़ते हो ,उसको भुला दे भाई। 

हम न भूलें हैं ,न भूल पाएंगे उसकी फितरत ,

और रक्खेगी कितनी बदनीयती ,उसको भुला दे भाई। 

कहाँ की नज़र ,कैसी नज़र ,ताब ला न सकीं नज़रें ,

अब भी मुकाम है गोशा -ए -दिल में उसको भुला दे भाई। 

बर्बादियों का गिला क्या ,नज़रे -इल्तफात से फिर देखा उसने ,

हाथ ही तो उसका पकड़ा था ,सिहरन बदन में हुई ,उसको भुला दे भाई। 

सफरे -हयात में मानूस हम उसी से थे ,और वो हमसे ,

कर गया वो रुस्वा सरे -बाजार ,उसको भुला दे भाई 

नज़र से वो हूबहू हम -कलाम था ,तो क्या हो गया ,

बीच मँझधार छोड़ेगा ,अब भी उसको भुला दे भाई। 

करते रहे इंतज़ार उसका ,राहे -मंज़िल के हर मोड़ पर ,

रास्ता बदल गया वो पहले ही ,उसको भुला दे भाई। 

पैमाना उसके हाथ में था ,उसे देख सुरूर में हो गए ,

कहीं देख लेगा उसका बाप ,उसको भुला दे भाई। 

मख्मूर -निगाही से करता सवाल ,उठाएंगे नहीं उसके नाज़ ,

काँटों में ही उलझा ,पेश किया जब गुलाब ,उसको भुला दे भाई। 

साथ न वो तेरे आएगा ,दगा तुझको दे जायेगा ,

ले नसीहत यारों की ,भुलाते बने तो उसको भुला दे भाई। 

वक़्त -बेवक़्त उसके साथ तो था ,कम से कम 'रतन '

खबर की यार को ,भुलाते बने तो उसको भुला दे भाई। 

-------==राजीव रत्नेश -----------

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