महफूज़ हो आज तुम ,तो मेरी रहबरी केदम से ,
रास्ता बदल लिया तुमने ,आखिरी कदम पे।
दुनिया बदल गयी ,तो मुझे मलाल न हुआ ,
तुम भी हो गए हुनरमंद ,तो कोई गम न हुआ।
अपना तो यही फ़साना है ,रास्ता बदल गए राजदाँ ,
कोई अपना न रहा ,कोई अपना न हुआ।
कोई चाँद अपना हुआ ,न कोई सितारा अपना हुआ ,
दोस्तों से सुना ,वो तो कभी का गैर का हो गया।
किनाराबन्दी दरिया का किया ,तूफानों का रुख मोड़ा ,
पत्थर पे लकीर खींच कर ,हुआ वो खड़ा ,फिर न डिगा।
गिला भी नहीं ,शिकवा भी नहीं किसी से कोई ,
मेरे यार सा निराला न था दुनिया में कोई।
बहुत जतन से ढूँढ़ा ,मिल जाता मुझे भी तुमसा कोई ,
खींच लेता पावं अपना ,कहता ,रहता न यहाँ कोई।
चक्कर कोई तुमसे हमने न पाला था,,
आगे बढ़ के आये ,पलट गए ,मिला जो न रास्ता कोई।
पासे -वफ़ा तुमसे हुआ ,न निभा सके रस्म ही कोई ,
शबे -फिराक़ में न तुम आये ,न आया दूसरा कोई।
मौसम की मार पे भी 'रतन 'तुम तो संग -संग थे ,
रास्ता बदल लिया तुमने ही ,आख़िरी कदम पे।
----------राजीव रत्नेश ------------------

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