Monday, February 17, 2025

PATANG HAMNE UDAEE.

दीवाना  बना  देती हो ,आँखों के वशीकरण काजल से ,

रास्ता बदल लिया ,तुमने भी आख़िरी कदम पे। 

मैंने तो न कभी सोचा ,कि ये तुमने क्या किया ,

हर रास्ता पूछता है मुझसे ,चमन का क्या हुआ। 

सरपरस्ती तुम्हारी काबिज़ होती ,तो कुछ कहता ,

बुझा -बुझा है चिरागे -दिल ,किसी से क्या कहता। 

खुशियों से भरा है सारा आलम ,बहार हर कहीं ,

लगन लगी थी ,चमन के भौरों से कुछ कहता। 

किसने कर दिया कुर्क ,मेरी उल्फत की हवेली को ,

अनजान न थे तुम ,अब तुम्हीं से क्या कहता। 

भर-भर के पैमाने  ,पिलाये तुमने अपनी नज़र से ,

रास्ता बदल लिया तुमने ही ,तुमसे मेरा क्या वास्ता। 

कैसे तीरंदाज़ हो ,वार करते हो ,तिरछे तीर से ,

सीधा कर लेते  तो ,चोट न लगती दिल पे। 

रंग -रंगीली ,छैल -छबीली ,किस बस्ती से आई है ,

तेरे  आने से हवा में खुशबू सी सरसराई है। 

अलमस्त जवानी ,अल्हड़ कामिनी का बिखरा जलवा है ,

'रतन 'पतंग हमने उड़ाई ,हाथों से फिसल गयी डोरी है  ... 

--------------राजीव रत्नेश -------------------- 

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