Saturday, September 27, 2025

शेर ( लब हों जैसे शहदरस के धारे)

शेर (लब जैसे हो शहदरस के धारे)
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लब गुंच- ए- गुलजार हैं तेरे,
ला रही है बादे- पुरवा तेरी यादें/
तेरे माथ की बिंदिया लुभाती है मुझे,
लब जैसे हों शहदरस के धारे//
      राजीव रत्नेश

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