जिंदगी एक संघर्ष( मुक्तक)
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जिंदगी एक संघर्ष ही सही,
पर यह कोई जंग तो नहीं/
जो तेगो- तुफंग के बिना लड़ी नहीं जाती,
और बिसाते- शतरंज मुझसे बिछाई नहीं जाती/
समंदर से निकाल के लाए हैं हम मोती,
बिना तेरी मर्जी जाने, तुझे सौंपी नहीं जाती/
तू मुझसे मिले, कोई हर्ज तो नहीं,
जिन्दगी एक संघर्ष ही सही//
नववर्ष( मुक्तक)
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सोचता हूँ नववर्ष को,
क्या यूँ ही बह जाने दूँ?
मैं कुछ लिखूँ तुम पर,
यदि तुम भी कुछ लिख सको/
व्यतीत को भुला आज,
फिर से तेरा श्रृंगार कर सकूँ/
एक बार फिर से जो,
गले आ के लग सको//
राजीव" रत्नेश"
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