Saturday, September 13, 2025

कुछ कहा न तुमसे---!!!

 कुछ कहा न तुमसे---!!!
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कुछ कहा न तुमसे, कुछ सुना न तुमसे,
साथ होते तुम ते क्या- क्या न कहा होता/

पूछना फर्ज था, साथ दोगे कि दूर जाओगे हमसे,
पूछा न होता, तो अपनी नजरों में बेवफा हो गया होता/

हमनफस था गैर कोई, हमसे तुम्हारा नाता क्या?
न छोड़ कर हटे होते तुमको, तो सफा हो गया होता/

नाचना-गाना तो ठीक है, सब बा मशक्कत है,
मिलता तुमसे तो खुद से जुदा हो गया होता/

रहना क्या सितमगारों की महफिल में औरों की,
खतरनाक इरादा रखके और तन्हां हो गया होता/

न मिले हम सफर बन के, मंजिल से तुम्हें वास्ता क्या,
हम बढ़ते तो, तुम्हारे आने से पहले अधमरा हो गया होता/

हमने न जाना तुमको मुसाहिब, चारागर भी न जाना,
तेरी महफिल में फिर से तेरा नजारा हो गया होता/

फर्ज करो तुम हमारे साथ होते, गैर न दरम्यां होता,
हर हाल में जमाना हमारा- तुम्हारा हो गया होता/

कदमबोसी भी न की, अपनों से कोई छलावा भी न किया,
यह सही बात है, हमारे मुताबिक सहारा हो गया
होता/

खेल ही तो है, जिसके साथ भी तीरे-नजर से खेलो,
हम हो जाते शामिल , जो जरा तेरा इशारा हो गया होता/

कहानी तेरी उजली हो या धुँधली, गर हमारा इरादा हो गया होता,
हमारी गरज गोया इतनी, कुछ अपना भी सहारा हो गया होता/

शर्त भी तो तुम्हारी थी, तुम्हीं रुखस्ते- महफिल भी हुए,
हम देते रहे सदा, ईद के दिन तो कुछ मीठा हो गया होता/

कितना हुआा परीशां" रतन", जरा कुछ तो सोचो,
बयाँ कर देते जमाने से फलसफा, मजा किरकिरा हो गया होता//
           राजीव रत्नेश
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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!