शेर( अपना माल तो सभी---)
तुम न फँसना कलियों के जंजाल में,
भले बुलाए बागवाँ तुम्हें पुचकार के,
अपना माल तो सभी अच्छा कहते हैं,
रखना तुम अपना दिल सार- सँभाल के//
---------
" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
No comments:
Post a Comment