पिला प्याला शराब का---!!!
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पिला-पिला मस्त निगाहों से,
पिला प्याला शराब का/
मस्ती घोल दे अपने लबों की,
पिला प्याला शराब का/
ऐसी पिला कि फिर होश रहे न बाकी,
मैं भी खैर- ओ- सलामती मय खाने की,
सलामत रहे तू, रहे होश तुझे बाकी,
रहगुजर से गुजरूँ जो तेरे मय खाने की/
इतना पिला कि सर चढ़ के बोले
नशा शराब का,
आदत में शामिल हो जाए मेरे,
नशा अंगूर का/
पिला इस कदर कि रहे न किसी काम का,
पिला पुरानी से पुरानी, चंद नशा बेअंदाज का/
कोई होश खोके, चला न दे खाली बोतल,
नशा चढ़ा गर शराबका,
तेरे पिलाने का अंदाज देख, हैरान मैं भी,
नशा चढ़ा शराब का/
मयखाने के अंदर तेरा मर्तबा ऊँचा साकी,
मयखाने के बाहर, तू है बहुत बदनाम साकी/
रिन्दों को बेहिसाब मिलता नहीं, मयखाने में,
इन्हें तो सागर उठा के भरपूर पिला दे साकी/
रंजो-गम जमाने के, धूल धक्कड़ राह के,
जी चाहता है अंगूर के पानी से नहा लूँ साकी/
मुझे मदहोश करता है, बुलाता है मयखाना साकी,
शराब कम हो तो पानी ही मिला कर दे साकी/
इंतजार कराना रिन्दों को, मयखाने का नहीं रिवाज,
पिला मस्त निगाहों से, दे दे जाम हाथों में शराब का/
रास्ता भूल के ही चले आए मयखाने में हजरते- वाइज,
नसीहते भूल कर चढ़ा लिए दो घूँट प्याले से
शराब का/
मजा जन्नत का तब आए, पिला तू निगाहों से साकी,
जिंदगी भर न उतरे, दो घूँट जामे- नजर काफी साकी/
अंदाज तेरा रिन्दाना, महफिल में शोखियाँ भर जाएँ,
हाथों में लेकर जाम, तू मेरे ईर्द-गिर्द जो मँडराए/
हमने तो पी रखी है मय, आँखों-आँखों से ही,
पीता तो मैं हूँ, बू साकी के मुँह से शराब की आए/
तुम सी हसीनों की नजरों का मिलना
इत्तफाक लगता है,
पैमाने में साकी की सूरत हो, उसका
इंतजार लगता है/
हम न चाहते हैं, न चाहेंगे कभी, बर्बाद
हो मयखाना तेरा,
तेरे मयखाने में आने वाला हर रिन्द,
हाले- दिले- बर्बाद लगता है/
पिला-पिला ऐसी पिला, जो ह श्र तक न उतरे,
सुबह को डूबूँ जाम में, रात गए तक न उतरे/
चाहिए मुझे तेरी जवानी का भरपूर गिलास,
पैमाने से पैमाना टकराए, रहे न जाम का हिसाब/
तू मेरी जिंदगी में आ, मय खाने को ताला मार,
हम तुम साथ रहेंगे, न करेंगे जमाने की परवाह/
मय ख्वार नहीं हूँ मैं, नही प्याले की प्यास,
मुझे तो सिर्फ है तेरे जामे- लब की प्यास,
तेरे लिए ही मयकदे तक का सफर होता है,
चाहिए" वो ही शराब", कर दे जिंदगी भर का
हिसाब//
राजीव रत्नेश
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