शेर
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मुहब्बत है तो खुदा भी यकीनन है,
नहीं है यदि मुहब्बत तो खुदा भी नहीं है/
खुदा से खुदाई है, उसको मेरे नाम से इत्तफाक है,
यह उसकी मर्जी है, किसी सूरत वो मुझसे जुदा नहीं है/
शेर
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मुहब्बत के निशाने पर, कई आए और चले गए,
समझाने वाले भी उनको आए और चले गए/
साध न सके मोहब्बत और रुस्वा होकर चले गए,
हम न समझे खुदा को, मुहब्बत से जुदा हो कर रह गए/
_______ राजीव रत्नेश
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