समंदर की मौजों से---!!!
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समंदर की मौजों से ये न पूछो,
कितने नजराने बाकी हैं,
अधूरे से कलसफे में,
अभी कई अफसाने बाकी हैं/
जितनी गुजर गई,
उतनी ही अभी रात बाकी है,
आधी से ज्यादा अभी,
तुमसे बात बाकी है/
हसीनों के तसब्बुर ने,
दी हमें इजाजत नहीं,
अभी सुबह हुई,
तुम्हारे गेसुओं में रात बाकी है/
हम न समझ पाए,
तुम्हारी मुहब्बत का मिजाज,
अभी भी बात अधूरी है,
रात के निशानात बाकी हैं/
जागते हुए चाँद-सितारों से पूछो,
कितनी अभी रात बाकी है?
हम न जाएँगे मन्दिर- मस्जिद,
करबला में जमीनों पे खून बाकी है/
हम तेरी मर्जी में, अपनी मर्जी मिला देंगे,
भले अपना गला कटवा देंगे,
दस्तके- रात की बात है क्या,
अभी बहुत बात बाकी है/
छटपटाने लगी हैं क्यूँ अभी से मछलियाँ,
झील में यादे- दिलदार ताजा है,
अभी तेरी जुस्तजू बाकी है,
मेरे होंठों पे प्यास बाकी है/
नदामत से झुका कर पलकें,
अभी तुम मत जाओ,
अभी तो कारवां ही गुजरा है,
कारस्तानी- ए- कारसाज बाकी है/
मसअले यूँ न कम होंगे,
हम समझते हैं मजबूरी तेरी,
अभी तो बाजार से लाना,
साग-पात बाकी है/
मैं मुनव्वर तो नहीं,
तेरी गली में अमरूद बिकवा दूँ,
इलाहाबाद की वो बात थी,
आ जा अभी सारी बात बाकी है/
हदे- मुक्कदस में रहना,
" रतन" की कसम है तुझको,
अभी तो मेरे लिए,
तेरी गली की खाक बाकी है//
राजीव रत्नेश
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