Friday, September 26, 2025

समंदर की मौजों से---!!!

समंदर की मौजों से---!!!
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समंदर की मौजों से ये न पूछो,
     कितने नजराने बाकी हैं,
अधूरे से कलसफे में,
     अभी कई अफसाने बाकी हैं/

जितनी गुजर गई,
      उतनी ही अभी रात बाकी है,
आधी से ज्यादा अभी,
      तुमसे बात बाकी है/

हसीनों के तसब्बुर ने,
      दी हमें इजाजत नहीं,
अभी सुबह हुई,
      तुम्हारे गेसुओं में रात बाकी है/

हम न समझ पाए,
       तुम्हारी मुहब्बत का मिजाज,
अभी भी बात अधूरी है,
       रात के निशानात बाकी हैं/

जागते हुए चाँद-सितारों से पूछो,
        कितनी अभी रात बाकी है?
हम न जाएँगे मन्दिर- मस्जिद,
        करबला में जमीनों पे खून बाकी है/

हम तेरी मर्जी में, अपनी मर्जी मिला देंगे,
        भले अपना गला कटवा देंगे,
दस्तके- रात की बात है क्या,
         अभी बहुत बात बाकी है/

छटपटाने लगी हैं क्यूँ अभी से मछलियाँ,
         झील में यादे- दिलदार ताजा है,
अभी तेरी जुस्तजू बाकी है,
         मेरे होंठों पे प्यास बाकी है/

नदामत से झुका कर पलकें,
          अभी तुम मत जाओ,
अभी तो कारवां ही गुजरा है,
          कारस्तानी- ए- कारसाज बाकी है/

मसअले यूँ न कम होंगे,
            हम समझते हैं मजबूरी तेरी,
अभी तो बाजार से लाना,
             साग-पात बाकी है/

मैं मुनव्वर तो नहीं,
               तेरी गली में अमरूद बिकवा दूँ,
इलाहाबाद की वो बात थी,
               आ जा अभी सारी बात बाकी है/

हदे- मुक्कदस में रहना,
                " रतन" की कसम है तुझको,
अभी तो मेरे लिए,
                 तेरी गली की खाक बाकी है//

           राजीव रत्नेश
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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!