शेर---( बदला है तुमने रिवाजे- मुहब्बत)
बदला है तुमने रिवाजे- मुहब्बत,
हम तुम्हें आवाज कैसे देते?
हट जाना बेहतर था, तुम्हारी जिंदगी से,
फरियाद करते भी तो आखिर किससे करते?
" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
No comments:
Post a Comment