Friday, May 23, 2025

मेरे चमन की नन्हीं कली( कविता)

मेरे चमन की नन्हीं नासूम कली है वो
उसकी हिफाजत करना काम मेरा 
मेरे खानदान की वो अकेली शिरकत
सभी उसके लिए बन जाते केयर टेकर

सिवा बागबां के कौन समझता है
मेरे छोटे से चमन की हालत बेहतर
स्कूल छूटने पर वो आती है
कालबेल बजाती दरवाजे पर देती दस्तक

याद करती एबी सी डी करती दुलार
मेरी व्यवस्थाओं से वो होती नहीं परिशान
एक समय उसके खिलने पर आएगी बहार
जिस स्कूल लिया एडमिशन रहा पूर्व हेडमास्टर

नहीं रखता कोई अनसुलझी पहेली
मन से नहीं करता किसी का प्रतिकार
वही है अकेली मंजिल की मेरी राह
नहीं कर सकता अपने स्नेह का आबंटन

अगर सही तरीके नहीं कर सकता ख्याल
मेरे चमन का मेरा पुराना चौकीदार
उसकी मर्जी वो जाने सँभले तो ठीक
नहीं तो अपनी चाकरी से धोएगा हाथ

मेरे पास आई नहीं कोई उसकी शिकायत
सदा समर्पित मेरे चमन पर रखता अधिकार
हूल को तूल नहीं देता करता उचित व्यवहार
मेरे चमन में ही बसते हैं उसके प्राण


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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!