Friday, May 30, 2025

दरिया में राह दे (गजल)

अजाब उसकी चश्म
झीना उसे नकाब दे

वो चाँवनी का परचम
उसे नूरे माहताब दे

खुद पे ऐतबार दे
जीने का अंदाज दे

जिसे कुछ न चाहिए
उसे बेहिसाब दे

जरूरत नहीं सहारे की
फिर भी उसे दुलार दे

हर शै अजीज हो
इस तरह का मिजाज दे

अब्र से टपकी बूँद
ऐ सीप उसे पनाह दे

साथिया शराब दे
हाथों में गिलास दे

पेश कर गुलाब उसको
उसका कोई तो जवाब दे

मर जाऊँ फिकर नहीं
मेरी चिता को आग दे

रतन साहिल पे ठहरा
उसे दरिया में राह दे

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!