मिलने की जुगाड़ में तू भी मैं भी
पलकों पे सजाए हमने प्यार के सपने
अनजान थे शहर में तू भी मैं भी
कहने भर को ही तुम शरम खाती हो
उठा के नजर झुकाती हो दिल में गम खाती हो
इरादा मेरा भी नहीं था तुझे भुलाने का
नहीं तुम पर मेरे प्यार का असर जतलाती हो
मुहब्बत में हो जाते कुर्बान तू भी मैं भी
अगर आग दोनों तरफ बराबर की लगी होती
नखरे दिखाती हो पर नाज भी उठाती हो
दिलदार तू भी दिलदार मैं भी
आ जा आग लगा दें हम तुम पानी में
पुल न बना तू बहते हुए पानी में
नहीं तुमको हमें आजमाना है किसी सूरत
बहाने से आते पास तुम भी मैं भी
अनगिनत मोती है समन्दर छिपाए हुए
ढूँढ लाते लगा कर हम गोते गहरे पानी में
क्या कहा डर लगता है पानी में
सोचता क्या चीज रही होगी जवानी में
आ जा मुकाबले महफिल भी अब तू
नैन नक्श तेरे सैकड़ों हसीनों पे भारी
मेरी टूटी नाव में कर ले सवारी
रतन को याद सुनी कहानी तेरी जुबानी
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