मेरी जिन्दगी भर का---!!!
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दिल में मेरे समंदर के ज्वार हैं,
लहर- दर- लहर जज्बातों के उफान हैं/
एक लहर कहती है, पास तुझे बुलाऊँ,
दूसरी कहती है, खुद तेरे पास जाऊँ/
किसी तरह तुझे मनाऊँ, तू ही मेरी जिंदगी है,
तू मेरा प्यार है, तू ही मेरी बंदगी है/
तू रूठ जाएगी तो खुदा माफ मुझे न करेगा,
( खुदा से भी एक बार लड़ सकता हूँ)
पर तुझसे प्यार में गतिरोध भारी पड़ता है/
तू नरम पड़े तो खुवाकसम तुझे मनाऊँ,
जिंदगी की कश्ती का नाखुदा तुझे बनाऊँ/
जाऊँ तेरे पास, साथ तुझे ले के ही आऊँ,
जिन्दगी भर की खुशी को फिर गले लगाऊँ/
क्यूँकि तू ही मेरे बदन का आधा हिस्सा है,
मेरी जिंदगी भर की मुहब्बत का किस्सा है//
राजीव" ख्नेश"
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