Saturday, September 27, 2025

कभी खुशी कभी गम ( लेख)

कभी खुशी कभी गम  ( लेख)
***************"********
     कोरोना भारत में आया तो आफोताब और पूरे जोशो-खरोश के साथ आया/ शायद ही कोई परिवार बचा हो, जिसमें कोई जान न गई हो/
मोदी साहब ने थालियाँ पिटवा दी, बत्तियाँ दो मिनट को देश भर में गुल करवा दीं/
     हमने भी जम कर कलछुल से थाली बजाई पर कोरोना जाने की बजाय और वीभत्स रूप से आम हो या खास जनता पर बुरी तरह से प्रभावित हो गया/
      मोदी जी जाने क्या सोचते हैं, जिसका प्रभाव आम जनता पर प्रतिकूल पड़ता है/ अचानक हजार- पाँच सौ के नोट बंद करवा देना फिर दो हजार के नोट हैवी नोट प्रचलन में ले आना, जिसको तुड़वाने में ही माथे पर पसीना आना/ जिनको बैंक और लाकर में जमा करने थे, उनके लिए सुभीता हो गया पर आम जनता ने दो हजार के नोट से खरीदारी न कर पाई/
      चंद महीनों बाद उसे भी बँद कर दिया गया और पाँच सौ के पुराने नोट को बंद कर के नये पाँच सौ के नोट मार्केट में उतारे गए, जो आज तक प्रचलन में हैं/ इसमें वित्त मंत्री जेटली साहब की क्या दूरदर्शिता थी कि पुराने नोट बंद करके देश भर में नोट बंदी लागू करवा दी/
       भरी दुपहरी में गरीब और असहाय बुजुर्ग चंद नोटों के लिए बैंक की लाइन में सुबह से शाम तक लगे पर उन्हें बैरन लौटना पड़ा, उन्हें नगद- नारायण के दर्शनों से वंचित ही रहना पड़ा/
कितनी ही गरीब घर की बेटियों की अर्थाभाव में शादियाँ टूट गईं/ कितनी मौंते हो गईं पर उनके घर वाले कफन के लिए पैसे न जुटा पाए, उनकी जैसे-तैसे अंतिम क्रिया हुई/
      मँहगाई चरम पर थी इसी समय दुकान दारों और व्यापारियों के सर पर जी . एस . टी का ठीकरा फोड़ दिया गया/ जनता को दो दूनी चार का फार्मूला समझाने की कोशिश की गई पर बुद्धिजीवियों के समझ में भी जी एस टी का जिन्न
सताता रहा पर किसी के पास कोई विकल्प न था/
     अब जीएस टी कम करने का प्रपंच रचा जा रहा है पर घरेलू चीजों के दामों में कोई' महाबचत'
मोदी जी के अनुसार द्वष्टि गोचर नहीं हो रही है/
चुनाव के बाद चुनाव की त्रासदी से जनता टूट चुकी है/ इलेक्शन कमीशन की सक्रियता सब पर उजागर हो चुकी है/ देश के पास रोजगार नहीं सिर्फ भ्रष्टाचार है/ विभिन्न पार्टियों द्वारा जनता को रिश्वत का अग्रिम भुगतान भी किया जाता है/
      नोट बंदी और जीएसटी की मार के बाद कोरोना का अतिक्रमण कितनी नौकरियाँ खा गया/
देश की फैकटरियों में छँटनी का दौर चला तो कितनी लघु कंपनियाँ बंद हो गई और न जाने क्या क्या हुआ/ युवा पहले भी बेरोजगार था अब वह बेकाम भी हो गया/
      मेरा घनिष्ठ मित्र दिलीप गुप्ता और चचेरा भाई कोरोना की मेंट चढ़ गए पर हमको भी अपना काम था कि नई योजनाएँ चरणबद्द तरीके से लागू हों/ सत्तारूढ़ पार्टी एक देश एक चुनाव का सपना साकार करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है,
तो विपक्ष ने उसकी दुम पकड़ रखी है, इस बेसिस पर यह" वोट- चोरी" का लाइसेंस देने के समान होगा/
       मोदी जी मैदान मार लेंगे या मुँह की खायेंगे,
इस बात की वकालत करने वाले कम खुशामदीद होंगे/ जनता को भी देखना है कि" ट्रिपल इंजन की सरकार" कहाँ तक अपने अभियान में बिना किसी" स्पीड- ब्रेकर" के कितने कदम- ताल कर सकती है/ योगी के आगे मोदी , रेखा गुप्ता के पीछे मोदी--- आजकल बिहार के चुनाव के परिणाम किस करवट बैठते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा/
       राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भी इस पचड़े में पड़ कर साँप-छछूँदर की गति हो गई है/ मोदी जी खुद नियम बनाते हैं अपना वक्त आने पर अपना नियम बदलने में अपनी उम्र का तकाजा भी नहीं सुनते, युवा और महिला हितैषी कहलाने में सीना फुला कर छप्पन से बासठ इंच का कर लेते हैं/
       कोरोना का सिलसला टूटा मगर देश के उद्योग-धंधे को तगड़ी चोट देकर गया/ भाई को भाई से, बाप को बेटे से, जुदा कर गया/ मैं खुश किस्मत रहा कि मेरा परिवार सुरक्षित रहा/ कितनों के बेटी-बेटों की कोरोना काल में ही शादी की रस्म-अदायगी हुई/ किसी में पचास तो किसी में सौ लोग ही आए, भले न्यौता शहर भर को दिया हो/
        इस तरह न जाने कितनी शादियाँ टूट गईं तो कितने घर आबाद भी हुए/
        कर्नाटक, महराष्ट्र और दिल्ली राज्यों के इलेक्शन हो चुक हैं तो बिहार का इलेक्शन होने वाला है/ आगामी वर्ष दो हजार छब्बीस में छः राज्यों के तथा 2027 में उत्तर प्रदेश का इलेक्शन ड्यू है/
        मुझे तो कुछ ऐसा आभास होता है कि 2027 तक जैसे-तैसे चलेगा/ उसके बाद एक सुदृढ़ राष्ट्रभावना प्रबल होगी और भारत- भूमि पर नौनिहालों के लिए समुचित व्यवस्थायें होंगी/
             राजीव" रत्नेश"
          """"""""""""""""

No comments:

About Me

My photo
ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!