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आ भी जाओ महफिल में,
दो तर्जुबानी का वास्ता,
बजाहिर है सागर में रंगीन पानी,
दिखाओ मेहरबानी का रास्ता/
बादल फिर भी गरजेंगे,
तूफान तेरे पहलू में लरजेंगे,
भूल जाओ कही सुनी बातें,
छोड़ दो नातवानी का रास्ता/
जिस गली में तुम रहते हो,
उसमें हमारा आना-जाना नहीं,
जहाँ फरिश्ते वजू करते हों,
वही है हमारी किस्मत का रास्ता/
हजारों आबशार गेसू में छिपाए,
तेरी जुल्फें झटकने की अदा
हम न समझे हैं अभी तक भी,
न जमाना तुम्हारी ये अदा/
फना हो जाएँगे हम, सितारों में कहीं,
तुझको खबर होने से कहीं पहले,
आओ दर पे हमारे, पल्लू सर पे डाल के,
इसके पहले कि हम हो जाएँ खुदा/
आजा चलें मस्जिद साथ- साथ,
हो जाएगी तेरी-मेरी नमाज अदा,
उड़ेंगी जुल्फें तेरी होकर बेखबर,
हो जाएगा दो- जहां का हक अदा/
मजबूरियाँ मोहब्बत की क्या,
लगता हमको इतनी सी बात भी नहीं पता,
खुद फर्मान तू है, तेरे आगे भला,
और किसी का हो क्या सकता है हौसला?
तुम्हारे हाथ में पत्थर है,
पर हाथ मेरे तो खाली हैं,
जंग गर जबानी हो" रतन",
तो बाज आओ , हक में तुम्हारे अच्छा//
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बहाव पे दरिया है तो क्या,
कश्ती बँधी तट से डगमगाती है,
तूफानों का खौफ नहीं मुझे,
बंधन से हस्ती मेरी कसमसाती है//
राजीव" रत्नेश"
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