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तेरी औत्सुक्य पूर्ण निगाहें उठती हैं मेरी तरफ,
तेरे आकर्षण से मुग्धित देखता मैं तेरी तरफ/
कितने झंझावातों का उत्फुल्ल उफान है तेरी खदान,
ज्यादा कुछ मालूम नहीं मुझे, तू ही मेरी क्यारी की शान/
बरबस निगाही का एक न्हराव तेरा- मेरा चेहरा,
चंचल शोख अदाओं से बार बार मुझे निहारना तेरा/
हम अदाओं से घायल हो जाते हैं बारम्बार,
तू ही मेरी चमने- जिन्दगी की है मस्त बहार/
दूर तक नजर जाती है, नहीं मिलता समंदर का ओर छोर,
कश्ती है जर्जर, टूट चुके हैं पतवार, नहीं कोई साहिल की आस/
कोई जजीरा ही मिले, दम भर को जहाँ ठहर पाऊँ,
मिले तेरा साथ तो फिर मैं इधर से उधर जाऊँ/
अनजान तू नहीं मेरे गर्दिशे- हालात से, आ जा अब देर न कर,
सँवर जाएगी दुनिया मेरी, और तू अब टालमटोल न कर/
जाड़े की थोड़ी रिमझिम भी अरमानेदिल को कुचलती है,
सितम तेरा गाहे बगाहे का, देख अब तू और हैरान न कर/
मजबूरियों में तुझे पुकारा था, अब कैसा खैर- ओ- शिकवा,
आजा रात में दीप जला, नीले अंबर के तले/
तेरी फुसफुसाहट सुन कर ही, दिलोजान से तुझे पुकारेंगे,
आजा सबेरे वाली गाड़ी से, लेने तुझे हम आएँगे/
न जान महफिल की शोखियों के बारे में ज्यादा न पूछ,
हम हो जाएँगे मुब्तिला तेरे इश्क में, अला बला न पूछ/
किस ठहराव पे आके ठहर गई जिन्दगी मेरी आखिर,
हैरान हूँ जान कर मुहब्बत की मजबूरी तेरी/
ऐ मेरी नादान वफा तू जो गर मेरी न हो सकेगी,
किससे रखूँ साबका, कौन है, जो मेरी हो के रहेगी/
नासमझ एक बार तो दिखा खुद जौहर अपने भी,
हम तो हरी झंडी दिखाएँगे, सिग्नल मिल जाने पर ही/
न समझ कुछ तो बस इतना ही समझ जा मेरी जानेमन!
हम मिलेंगे ख्वाबों में ही, आधी रात गुजर जाने पर ही/
अलमस्त बहार तू, अलमस्त तेरी भरपूर जवानी भी,
नजर आएगा चटकता शगूफा भरी महफिल में ही/
न और सितम ढ़ा, बुला ले मुझको अपनी हवेली पर ही,
सही समझो तो आन मिलो चौराहे वाली गली पर ही/
हम जानते हैं, न मिलने पर खतरनाक तेरा इरादा हो जाएगा,
हम खींच लाएँगे बाहर तुझे, बढ़ते हुए दावानल से भी/
इन नजरों को तो गुस्ताखियों का अपना सिला दे दे,
हम तुम मिल न पाएँ तो, कहीं पौध मुहब्बत का लगा दें/
तेरी कमजोरियों को भी अपना बदला हुआ हुनर मानेंगे,
तू समझे न समझे, तुझे हम समंदर से निकला गौहर मानेंगे//
राजीव" ख्नेश"
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