Wednesday, October 13, 2010

haan maine bhi ..... !!!

हाँ मैंने भी पाप किया 
अभिशापित जीवन जीया 


देख कर मेरा करून क्रंदन 
तुम क्यों करती व्यर्थ रुदन 
स्नेह संबल सब छुट गए 
गिरि_ चोटी पर खड़ा करता आराधन 


बारम्बार तुमको पास बुलाया 
खुद भी भरमा तुम्हे भरमाया 


मैं क्या जानूं , क्या समझूं 
करके तुम्हे शम्मा के रूबरू 
अपनी फबन तुम स्वयं हो 
बचा लो अपनी आबरू 


मैं नहीं गया तुम्हारे द्वार 
पथ ही अवरोध बना . 


स्वर्ग_ नरक सब यहीं हैं 
चुड़ैल यहीं अप्सरा यहीं  है 
मैं रखता विश्वास इसमें 
और मेरा यकीन यही है . 


जीवन स्वयं बर्बाद किया 
पर तुमको आबाद किया . 


यक्ष बना फिरता मंडराता 
अखिल ब्रम्हांड मेरा बसेरा 
सत्यव्रती कोई मिलता नहीं 
प्रश्नोत्तर का ही भरोसा 


कुछ सही कुछ गलत हुआ 
ऐसा मेरे जीवन के साथ हुआ 












ममतामयी छांव मे न बैठा 
झूठी अकड़ के धुप में बैठा 
किसने किसके साथ क्या किया 
शायद मैं कुछ का कुछ समझा 


भूल गया वादा , पिछला 
इस जनम मे गया छला 
हाँ मैंने भी पाप किया 
अभिशापित जीवन जिया . 

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!