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तुम मेरा दिल चुरा ले गई है, और कहती हो,
तुम्हारा इंतजार न करूँ/
प्यार के अफसाने में, ऐसी तपिश लाई हो,
क्यों पर्दाफाश- ए- राज न करूँ?
तुम्हारे बिना उकताहट हद से बढ़ी जाती है,
तुम्हीं बताओ क्या करूँ,
जमाने के सामने, चाहती हो न तुम्हारे,
बयाने- अल्फाज करूँ/
रात के अँधियारों में तेरी तस्वीर रह रह कर,
मेरे सामने उभरती है,
कैसे अफसाने को तूल न दूँ, और तेरे बिना भी,
कैसे सरगमे- आलाप न करूँ/
ये सोच कर, इक दिन तो लौट के मेरे पास ही,
तुमको तो आना ही है,
छोड़ कर दर्दे- एहसास को कैसे तुझे मैं अब,
जुदा- ए- कारसाज न करूँ?
जगमग जलती- बुझती रौशनियों तले भी, तेरा ही,
इंतजार रहता है मुझको,
कैसे तुझे भूल जाऊँ और कैसे तेरा अब और
इंतजार न करूँ?
जानता हूँ प्यार में एक दिन ये जान भी जा सकती है
चुहल बाजियाँ तेरी असर ला सकती हैं,
अपने आप मेरी महफिल में तू खुद - ब- खुद आ सकती है,
तेरी तस्वीर दिलो-दिमाग में है/
किस तरह साजे- मुहब्बत छेड़ने से रोकूँ, मैं खुद को,
सरेराह तू मेरी निगाह में है,
किस हाल तुझे अपने से दूर समझ सकता हूँ,
तू आफताबो- माह में है/
तेरे मगरूर दिल का नजारा किया मैंन, फिर भी,
किनारा न किया तुमसे मैंने,
नजर अंदाज तुझे, किस तरह मैं कर सकता हूँ, रक्स करती तू
सरोवर- ताल में है/
जमाने की नजर कहीं अकेले न तुझे ही लग जाए,
इसलिए हिचकता हूँ,
तुझे हिदायत देते भी कपकपी छूटती है मेरी,
इक कड़क छिपी तेरी आवाज में है/
इतना लचीला पन छिपा तेरी इक इक अदा में है कि
तरन्नुम में तुझे ढाल सकता हूँ,
मेरी बाहों के घेरे में आ जा बस एक बार के लिए ही,
क्या बात तेरे गाल में है?
दूरी हद से बढ़ी जाती है, अब तो तेरे मेरे बीच खल्वत की
कैसे तुझे चालबाज चाल बाज न कहूँ,
कैसे तू मुझे आबाद न करे, मैं तुझे निहारुँ ही केवल,
कुछ खास बात तेरी बात में है/
तुम मेरा दिल चुरा ले गई हो, और कहती हो मुझसे,
तुम्हारा इंतजार न करूँ,
किस हाल में तुमसे दूर रह सकता हूँ तू कहती है
तुमसे उम्मीदे जज्बात न करूँ
बागों में बोलती है जब कोयल, इक हूक सी मेरे
अनजाने में निकलती है,
तू मेरी जिन्दगी है, बहारे- गुल है, भरी अभी तक
नाजो अंदाज में है/
कलियाँ चटकती हैं बागों में, सय्याद मुझसे पूछता है,
कि मेरी बुलबुल कहाँ है,
जिससे चमन था गुलजार, वो कली अब कहाँ है,
मेरी ख्वाबों की परी कहाँ है?
सोचता हूँ उससे, सारी बातें अब बता ही दूँ
कि तू अंजुमने- नाज में है
समंदर की लहरें शांत हो गईं पर वह अभी तक
मेरे ख्याल में है
कितनी रातों की सुबह भी हो गई पर तकदीर का
अँधेरा मुस्तिकल है,
वो मेरी जोहरा जबीं कहती है कि अब मैं उसका,
दीदार न करूँ
तुम मेरा दिल चुरा ले गई हो और कहती हो,
तुम्हारा इंतजार न करूँ,
कुछ बोलूँ भी न तुमसे और न ही पास आऊँ,
कोई खतरनाक इरादा न ईजाद करूँ//
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