आज की देख कर आपकी मेहरबानियाँ,
भूल गए हम सारी सितमरानियाँ.
नजरो के जाम से भी सुरूर आ गया हमें,
हो गई हैं नई प्यार की कहानियां.
मेरी नसों मे गंग_ओ_जमुन की लहर है,
सासों मे तेरी जुल्फों की महक हैं.
हर ओर रंगीनी ही रंगीनी,
चमन_ऐ_दिल में चिडियों की चहक है.
दिखने लगी हैं मुझको तेरी अंगडाइयां,
bhaane लगी हैं दिल को तेरी शोखियाँ.
हर कली पे भी आज शबाब हैं,
गोया हर तरफ़ बिखर गई है मस्तियां.
परचम की तरह लहराता हैं आँचल,
रूख पे मंडराते हुए वो जुल्फों के बादल.
मुझे मदहोश करता है रह_रह के,
तेरी मद भरी इन आखों का काजल.
आ भी जा तू अब मेरे शहर में,
कट नही रहीं खामोश तनहाइयाँ.
मेरी मासूम मुहब्बत की कसम तुझे,
शामियाने दिल मे बजा दे शहनाइयां .
मैंने सुनी हैं तेरे दिल की धड़कने,
मैंने देखी है तेरे जिस्म की तड़पने
न अब नखरे दिखाओ जान _ऐ_मन ,
मैंने देखी हैं तन्हाई की तेरी siskane
हर गलीचा अपने नसीब को सराह रहा,
दे दी हैं जो tune अपने panw की निशानियाँ.
वो तेरा झिलमिलाता आँचल और ये रात,
सताने लगी हैं अब “रतन” को तेरी शैतानियाँ.
Thursday, March 6, 2008
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1 comment:
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
आपको गुरु नानकदेव जी के जन्मदिन की बधाई।
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