शीशे का महल हो ,
और चांदनी रात हो ।
हम तुम साथ हों
और मौसम की बात हो ।
रुपहले बादल हों
आसमानों की बात हो ।
दिल से दिल मिले
भले हमारी आफात हो ।
दिल्लगी भी है ज़रूरी
कुछ मुस्कराहट की बात हो ।
दिल_ऐ_ऐय्यार ने कुछ कहा
तुम्ही से तुम्हारी बात हो ।
अच्छा तो है हम साथ हों
और चांदनी की बारात हो ।
पतझड़ बाग़ मे हो
और फूलों की बात हो ।
हम तुम साथ हों
ज़माना भले ख़िलाफ़ हो ।
असरदार उसी की बात है
"रतन" की मर्ज़ी जिसके साथ हो ।
Sunday, December 14, 2008
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