तेरे लबों के मुकाबिल भला गुलाब क्या होगा
तू ख़ुद लाजवाब है तेरा जवाब क्या होगा
खुदा ने ख़ुद तराशा है तुझे करामत है
हम परवानों का क़यामत मे हिसाब क्या होगा
परदा नशीं अब तो नकाब_ऐ_रूख हटा कर देख
ख्त्तो खाल से वाकिफ हम अब हिजाब क्या होगा
तेरे हुस्न की तारीफ़ मे chnd अशाअर कहे
हर कहीं ढूंढते हैं तुझे इससे बढ़कर फिराक क्या होगा
गली कूचा ओ बाज़ार की तू हसीं मल्लिका
वादा वफ़ा तुम करो खूलूसो एहसास क्या होगा
कमज़र्फ़ ज़माने ने बदनामी ऐ जिंदगी अता की
भला इससे बड़ा मुझ पर इल्जाम क्या होगा
गर एक बार नज़र मिला के तो देख हमें
हम पशेमान हुए फ़िर आख़िर शराफात क्या होगा
charaagaa किया किसी ने मुद्दतों बाद शम्मे महफ़िल
परवानो ने फेर लिया रूख इससे ज्यादा इन्कलाब क्या होगा
मुफलिसी me काट दिए दिन गम ज़माने के सहे
संग दिल भी चाक गिरेबान हुआ अब तेरा सवाल क्या होगा
मैंने माना तू हुस्न की मल्लिका रातरानी है
नज़रे मय पिला इससे बढ़िया शराब क्या होगा
नूरे नज़र लखते जिगर जाने जहाँ दर्दे दिल तू है
इससे बढ़कर मेरे जीने का असबाब क्या होगा
तू जिसकी नवाजिश करे वो खिदमत के लिए मरे
इससे भी बढ़कर गर्दिशे haalaaat क्या होगा
हम समंदर से निकाल कर लाये है moti
तू ना समझे फ़िर मेरे अहतियात का क्या होगा
अगर तू समझे तो तुझे रूबरू ऐ गुल करे
दिल पहले से जुदा है अब जान निसार क्या होगा
जो तू चाह ले हर कोई तेरा है महफ़िल मे
तेरे से जुदा अब खुदा का निजाम क्या होगा
हव्वा ने जो गुल खिलाये हैं कायनात भर में
जो हुआ सो हुआ अब ज़िक्र ऐ आदम क्या होगा
जो निकाला गया है बज्म से सरे aaam
आवारा घूमता है उसके लिए maniye खबरदार क्या होगा
lab से लगा जाम अब न तू थर्रा साकी
पहलू मे तुम , लबों पे मुस्कान आखिरकार क्या होगा
पेश तुझे हम भी मंज़र सुहाना ही करेंगे
फासला ऐ मंजिल बढ़ा कर salaamaat क्या होगा
ये महफ़िल है शेरो सुखन baadaa औ' पैमानों की
मेरी ग़ज़ल से ज्यादा "रतन " और असरदार क्या होगा ।
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