चाँद से चाहिए क्या
चाँदनी के सिवा
वीणा से चाहिए क्या
रागिनी के सिवा
फूल से चाहिए क्या
सुगंध के सिवा
हमें कुछ नहीं चाहिए
कामिनी के सिवा
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गरज कहीं तुम्हारा दीदार हो जाए
दिल दोनों का सरशाद हो जाए
purkhijan चमन में फिर से
बजाये खिजां आलमें बहार हो जाए
नफरतों के धुंधलके हटें दरमियाने इश्क
फिर से तुम से प्यार हो जाए
जीतें हैं इसी हसरत में कभी to
तुम्हे हमारा ख्याल हो जाए
बीती बातें बीत गयीं ,नए साल में
कम से कम तुमसे दुआ सलाम हो जाए
नागवारियाँ भी नहीं इतनी अच्छी
तुमसे रस्मे इकरारे वफ़ा हो जाए
उम्रदराज़ हों तुम्हारी हजारों साल
साल में महीने पचास हो जाएँ
शमा बनी बेवफा जलाना ही काम
तुमसे तो कम से कम इकरार हो जाए
जीतें हैं, इस हसरत में कभी तो 'ताज'
हम rahein tanhan तुम्हारी कायनात हो जाए
'रतन' की गरज गोया इतनी ,कभी
तुमसे कहीं भूले से आदाब हो जाए
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juhi chameli champakali
हो तुम्हे मुबारक
मुझे to आता है अब भी
murjhaya गुलाब
Thursday, December 31, 2009
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