आख़िर यह ज़ोर से
बम सा फटा है क्या?
अगर यह किसी का दिल नहीं
तो फ़िर टूटा है क्या ?
.................... ......................... ....................................
जितना भी भुलाऊँ याद आता है वो
दिलजले को और जलाता है वो
उसके करम से आंखों मे आंसू हैं
जाने क्यूँ आज फ़िर से रुलाता है वो
सदियों पहले छोड़ी थी महफ़िल उसकी
मेरे आने की ख़बर से शमा जलाता है वो
फ़िर से छनक उठी उसकी पायल
अपनी मीठी सदा से बुलाता है वो
क़यामत है उसका आना भी अब तो
रहगुजर भले छोड़ी ख्यालों मे आता है वो
कसम खायी है मुब्तिला न होंगे अब
लाख बचें जोहरे-हुस्न दिखाता है वो
मिलने के ख्याल से शरमाते है हम
वक्ते-विसाल पलकों पे बिठाता है वो
गरज उसकी या मेरी नामालूम
अब भी बातों से दिल बहलाता है वो
बरसों उसकी ख़बर मिलती नहीं मुझको
मिलता है तो ' रतन ' गले लगाता है वो
............................. .................................
आओ तुम पास बैठो
कुछ अपनी सुनाओ
कुछ मेरी भी सुनो
भावों को स्वर दो ॥
बम सा फटा है क्या?
अगर यह किसी का दिल नहीं
तो फ़िर टूटा है क्या ?
.................... ......................... ....................................
जितना भी भुलाऊँ याद आता है वो
दिलजले को और जलाता है वो
उसके करम से आंखों मे आंसू हैं
जाने क्यूँ आज फ़िर से रुलाता है वो
सदियों पहले छोड़ी थी महफ़िल उसकी
मेरे आने की ख़बर से शमा जलाता है वो
फ़िर से छनक उठी उसकी पायल
अपनी मीठी सदा से बुलाता है वो
क़यामत है उसका आना भी अब तो
रहगुजर भले छोड़ी ख्यालों मे आता है वो
कसम खायी है मुब्तिला न होंगे अब
लाख बचें जोहरे-हुस्न दिखाता है वो
मिलने के ख्याल से शरमाते है हम
वक्ते-विसाल पलकों पे बिठाता है वो
गरज उसकी या मेरी नामालूम
अब भी बातों से दिल बहलाता है वो
बरसों उसकी ख़बर मिलती नहीं मुझको
मिलता है तो ' रतन ' गले लगाता है वो
............................. .................................
आओ तुम पास बैठो
कुछ अपनी सुनाओ
कुछ मेरी भी सुनो
भावों को स्वर दो ॥
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