मेरी अम्बुलेंस में
तीन लोग थे
बाकी अपनी-अपनी
कार से पहुंचे थे
कंधा देने से भ यूं
कतराए
गोया सभी अपने को
मेरे बाप का
दामाद समझते थे
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" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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