प्यार तो एक समंदर है
जिसकी नहीं कोई थाह
हम तुम मुसाफिर हैं
जीवन है एक छोटी नाव !
.................................................................................
पहले इसके दुश्मनी हमसे संसार करे
मैं तुझे प्यार करूँ तू मुझे प्यार करे ।
कौन आता है मुक़ाबिल वफ़ा के देखें
मैं तेरा इंतज़ार करूँ तू मेरा इंतज़ार करे ।
बिला वजह तंगदिल है आशियाना सारा
मैं तेरा दीदार करूँ तू मेरा दीदार करे ।
कहते हैं तो मिलते हैं सनम कहीं भी
मैं तेरी बात करूँ तू मेरी बात करे ।
कद्र्दाने हुस्न बहुत हैं तेरा ध्यान इधर
मैं तेरा ख्याल करूँ तू मेरा ख्याल करे ।
राहे वफ़ा में आता है वक़्त कभी नामुनासिब
मैं तेरा मुन्तशिर हूं तू ख्याले जज़्बात करे ।
तेरे लबों की खामोशी कुछ कहती है
मैं तुझसे इज़हार करूँ तू मेरा इमदाद करे ।
सनमखाना है तेरा बूते महफिले हरम
मैं तुझे पेश करूँ तू मुझे पेशे जाम करे ।
जीने का करीना तुम्ही से सीखा है हमने
आओ बज़्म में हम तेरा इस्तकबाल करें ।
शोहरत तेरी हर महफ़िल हर बुतखाने मे
मैं तुझे सलामे नज़र करूँ तू मुझे सलाम करे ।
वाइज़ के कहने से कैसे तौबा कर ले हम
तू जब तक न कहे कैसे तुझे अलविदा कहें ।
दरियाए मुहब्बत में भंवर भी मंझधार भी
तुम मुझे साहिल बख्शो हम तुझे पार करें ।
कौन कहता है शम्मे महफ़िल में नूर नहीं
अपने फलसफे मे फ़साने में तुझे किरदार करें ।
तू कहीं आसमानों से उतर कर आती हो 'ताज '
मैं तुझे माहताब कहूं तू मुझे आफताब कहें ।
अब तो अपना दिल कहीं भी लगता नहीं
'रतन ' तुझे खुशहाल करे तू मुझे आबाद करे ।
Friday, September 3, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
अब तो अपना दिल कहीं भी लगता नहीं
रत्नेश जी ......... बिलकुल सही बात बोली आपने........
Post a Comment