बहिश्त से बुलाने
क्या फ़रिश्ते आएँगे
या दोजख से कुछ
मनचले चले आएँगे
वक्ते-महशर क्या होगा
हमें मालूम नहीं
क़यामत के बाद तो
सनम मिलने आएँगे
" मेरी rachnaaye हैं सिर्फ अभिव्यक्ति का maadhyam , 'एक कहानी samjhe बनना फिर जीवन कश्मीर महाभारत ! "
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