Saturday, April 9, 2011

tere bagair

मैं तो परीशान हूँ तेरे बगैर
तू नहीं क्या परेशान मेरे बगैर 

यह राज़ तो राज़ ही रहेगा 
तेरे मेरे मिले बगैर

और मिलना इतना आसाँ नहीं 
बिना कोई जंग किये बगैर 

कोशिशों से क्या होता है 
 तायर उड़ नहीं सकता परों के बगैर 

जाहिर सबको कोई रिश्ता तेरे मेरे बीच  
रास्ता नहीं कोई दीवार ढहाए बगैर  

आफातो-मसायब सब मोल लूं 
कैसे तेरी मर्ज़ी जाने बगैर

सच तो यह है मजरूह हम दोनों ही 
धुआं उठ नहीं सकता आग लगे बगैर
मोहब्बत में नाकामियों  का रोना ही तो है 
कोई रह नहीं सकता किसी को रुलाये बगैर 

मोहब्बत इतनी सस्ती भी नहीं की
चौराहे पे खड़ी की जाये तुझे बताए बगैर 

महफ़िल है ये गुरोरोफन वालों की 
इसलिए छोड़ी हमने किसी से हाथ मिलाये बगैर 

मोहब्बत नहीं ये अकीदत है परवा क्या 
जेहाद हो नहीं सकता एक दुसरे से मिले बगैर 

रुख से तेरे पर्दा न उठा तो क्या 
चांदनी छिटक सकती क्या चाँद के बगैर 

सच पूछो तो 'रतन' परीशां कुछ ज्यादा ही 
नज़र उठ के झुक क्यूँ गई राज़ जाने बगैर      
  
  

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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!