नुक्ताचीं है नाक।
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कोई अपनी नाक नीची नहीं करना चाहता फिर रावण कैसे अपनी
मनुष्य से इतर प्राणियों को भी अपनी नाक से विशेष प्रेम होता है। हाथी
कुत्ते की नाक वैसे ही अपनी घ्राण -शक्ति के लिये इतनी चाक -चौबंद
हमारी भी कभी नाक हुआ करती थी। हमारे आध्यात्मिक -चिंतन का
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मेरे शरीकेसफर बड़ी मासूमियत से मुझसे सदियों पुराना सवाल
पूछ बैठे और मैंने भी पूरी संजीदगी से जवाब दिया -
तुम कहती हो मैं तुम्हें
अपलक निहारा क्यूँ करता हूँ
सुनो प्रिये बात ये है
मुझे बहुत भाती है तुम्हारी छोटी नाक।
अपनी विरहणी पत्नी की पीर न समझने वाले लक्छ्मण से
उम्मीद भी क्या की जा सकती है कि वह एक अनार्य नारी सूर्पणखा के प्रणयनिवेदन पर उसकी सुकुमार नाक का विच्छेदन न कर दें।
रामचरितमानस मेँ गोस्वामी तुलसीदास ने सूर्पणखा से राम के प्रति कहलाया है -----
रामचरितमानस मेँ गोस्वामी तुलसीदास ने सूर्पणखा से राम के प्रति कहलाया है -----
'तुम सो पुरुष न मो सम नारी '
कोई अपनी नाक नीची नहीं करना चाहता फिर रावण कैसे अपनी
बहन का अपमान सहन कर लेता। फलस्वरूप भीषण युद्ध
हुआ और उसे प्राणों से हाथ धोना पड़ा। इतना सब हुआ मुख़्तसर सी एक अदद नाक के चलते।
हुआ और उसे प्राणों से हाथ धोना पड़ा। इतना सब हुआ मुख़्तसर सी एक अदद नाक के चलते।
नाक कई तरह की होती है।
एक नाक की दूसरी से कोई समानता नहीं होती है।
एक नाक की दूसरी से कोई समानता नहीं होती है।
किसी की नाक लम्बी होती है।
किसी की सिकुड़ी।
किसी की टेढ़ी।
किसी की नुकीली तो किसी की सलोनी।
किसी की नाक का बाल होना अच्छी बात है।
कोई अपनी नाक पर मक्खी का बैठना पसंद नहीं करता।
खूबसूरत नाक पर घिनौनी मक्खी का भला क्या काम।
किसी की सिकुड़ी।
किसी की टेढ़ी।
किसी की नुकीली तो किसी की सलोनी।
किसी की नाक का बाल होना अच्छी बात है।
कोई अपनी नाक पर मक्खी का बैठना पसंद नहीं करता।
खूबसूरत नाक पर घिनौनी मक्खी का भला क्या काम।
नाक और नथ का सदियों पुराना रिश्ता रहा है। कुछ पत्नियां पतियों
को नकेल से संयमित करती हैं।
लड़की वालों की नाक लड़के वालों से नीची होती है
और वे अपनी नाक बचाने में इतने प्रयत्नशील होते हैं कि
अपना सबकुछ लुटा कर भी अपनी
और वे अपनी नाक बचाने में इतने प्रयत्नशील होते हैं कि
अपना सबकुछ लुटा कर भी अपनी
नाक बचा लेते हैं।
वर्ना लड़के वाले तो नाक के पीछे उस्तूरा लेकर पड़ जाते
वर्ना लड़के वाले तो नाक के पीछे उस्तूरा लेकर पड़ जाते
हैं। गोया नाक न हुई कोई पीबदार फोड़ा हो जैसे।
सभी लड़की वालों से मेरी अर्ज है कि जीवन बीमा करायें न करायें अपनी
नाक का बीमा जरूर करायें।
बदलते मौसम की मार सबसे पहले नाक पर ही पड़ती है। कभी सुर्ख हो
जाती है तो कभी परनाला बहाती है। हिफाजत -पसंद लोग अपनी जेब में या पर्स में रुमाल रखते हैं।
मनुष्य से इतर प्राणियों को भी अपनी नाक से विशेष प्रेम होता है। हाथी
तो अपनी नाक की इतनी सार -संभाल करता है कि बैठता है तो मुँह में
डाल कर। मौज में आता है तो नाक से ही पेड़ों को जड़समेत उखाड़
फेकता है।
उसमे पानी का संग्रह कर के बिन मौसम बरसात का आनंद
उसमे पानी का संग्रह कर के बिन मौसम बरसात का आनंद
दिला देता है।
कुत्ते की नाक वैसे ही अपनी घ्राण -शक्ति के लिये इतनी चाक -चौबंद
होती है कि अपराधियों के प्राण संकट में रहते हैं।
हमारी भी कभी नाक हुआ करती थी। हमारे आध्यात्मिक -चिंतन का
डंका विदेशोँ में बजा। कहीं धर्म तो कहीं दर्शन के नाम से विख्यात हुआ।
पर हाय वो दिन आये कि हमारे युवक -युवतियाँ पसीना बहा कर डॉलर
कमा कर नाक उठाये जहाँ -तहाँ विलासिता की खोज में भटक रहें हैं।
इति
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