लमहा लमहा खाली
होता रहा समंदर ।।
तनो बदन से अंदर
तू था दिल के अंदर ।।
मजा लेता रहा बादल
सावन से अठखेलियां कर।।
हर कोई हुआ बिस्मिल
कैसा खेल खेला कलंदर।।
पापड़ गुझिआ और
नमकीन का आलम ।।
दिल में मातम और
लब पर जिक्रे महशर।।
मन से आहें भर रही
वो बिखराये बाल ।।
वैलेंटाइन डे पर
कलेजे से लगाया गुलाब।।
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