Friday, February 11, 2022

कल तक वो...

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कल तक वो खिला गुलाब था 

आज देखा ,रुख प ' हिज़ाब था.    

दूर जाने की ख़बर से नाशाद था 

बादाख्वार बदहवास था बेज़ार था। .   

उसकी सदा ख़लाओं में गुम हो गई 

साजेदिल  ख़ामोश था बेआवाज था। 

कल पूछा ये तुमको क्या हुआ 

बोले दरिया बिच मँझधार था। लस्ल 

सैरेगुलशन गए दश्त में घूमे 

सच पूछो ,तुम बिन सब उदास था। 

लोगों के ठहाके थे ,मेरी चश्म नमनाक 

दिल में आँसुओं का सैलाब था। 

समझी ही नहीं तूने हक़ीक़त मेरी 

तेरे लिए जुगनू से हुआ आफ़ताब था 

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