Sunday, November 20, 2022

कहाँ सोचा था 

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महफिल में उसकी हर बात पे सजा 

लब खामोश थे ,राह रोके थी हया 


कुछ तो बात न थी  हमारे दरमियाँ 


.







- / सदा


बन सका न वो कभी अच्छा राजदां . सदा


तीरे घाय न

J . . -नजर से सबको कर गया

घाय १

थे न कभी हम उसकी हरकतों पे फिदा 


बात न थी कोई ,फिर भी सबको पता 

था क्या फिगारे -चमन ,था क ...... i


2 स ए । सदा सदा


कुछ तो बात है ,जो चुप लगाए बैठा है त्त गा / 

खामोश होने वाली न थी उसकी जुबां 


गफलत में हाथों से उठा लिया जाम 

कहाँ सोचा था ,इसमें होता है 


.



. राजीव रत्नेश



------------------------------------ । राजीव ख्नेश में



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ROM ROM SE KARUNAMAY, ADHARO PE MRIDU HAAS LIYE, VAANI SE JISKI BAHTI NIRJHARI, SAMARPIT "RATAN" K PRAAN USEY !!!