कहाँ सोचा था
---------------------------------
महफिल में उसकी हर बात पे सजा
लब खामोश थे ,राह रोके थी हया
कुछ तो बात न थी हमारे दरमियाँ
.
- / सदा
बन सका न वो कभी अच्छा राजदां . सदा
तीरे घाय न
J . . -नजर से सबको कर गया
घाय १
थे न कभी हम उसकी हरकतों पे फिदा
बात न थी कोई ,फिर भी सबको पता
था क्या फिगारे -चमन ,था क ...... i
2 स ए । सदा सदा
कुछ तो बात है ,जो चुप लगाए बैठा है त्त गा /
खामोश होने वाली न थी उसकी जुबां
गफलत में हाथों से उठा लिया जाम
कहाँ सोचा था ,इसमें होता है
.
. राजीव रत्नेश
------------------------------------ । राजीव ख्नेश में
No comments:
Post a Comment