हमीं नहीं कई हैं चाहने वले तेरे
जो तुझे देखते हैं हो जाते है दीवाने तेरे ।
हर किसी से दिल लगा बैठी है तू सनम
हर किसी की जुबां पर है अफ़सोस तेरे ।
आतिशे दिल न बुझी है न बुझेगी कभी
महफ़िल मे हर किसी पे चलते निशाने तेरे ।
सब कुछ सिमट आया है इसी पैकर मे
ये शोखी_ए_गुल , बहार , ये मदमाती हवाए तेरे ।
खुदगर्ज़ ज़माना नहीं बल्कि सिर्फ तू है
सब है तेरे सरगोश फिजा के नज़ारे तेरे ।
ये माना दिल हमारा पहले तुझ पे आया था
बना लिए कई हमराज़ दरम्याने इश्क मेरे तेरे ।
न समझे हैं न समझेंगे ये ज़माने वाले
कब तू कलि से फूल बनी कब हुई हमारे हवाले ।
नज़रों से फिर शम्म_ए_महफ़िल रौशन होगी
जलजले आयेंगे हुस्न पे कुर्बान होंगे परवाने तेरे ।
अफ़साने केस _ओ_लैला , किस्सा_ए_शिरी औ फरहाद
हम मिट भी जाए होंगे ये सारे मरहले तेरे ।
समझाने से तो न समझेगी अहले दुनिया
निकले थे सूयेमक्तल थे कभी जो सपने तेरे ।
सितम आराइयो पे तेरे हमें नाज़ है अब तक
वगरना मिट तो जाते हम भी जैसे परवाने तेरे ।
इन्कलाब सा चमन मे है बागबान परीशां हैरान
कौन आ गया है सर्याद फूल चुनने तेरे ।
यकलख्त एक तीर दिल के आर_पार हुआ
खिंची म्यान से चल दी तलवार सामने तेरे ।
महफूज़ नहीं है जान भी अब तो कसम तेरी
दाम लगा दिया है बाप ने तेरे, गिर्द मेरे तेरे ।
दिल पहले ही दे चुके अब जान बाकी है
अब तो बस ईमान है वो भी हवाले तेरे ।
तेरे सिवा लाचार जिंदगी का कौन सहारा
नाखुदा भी तू है पतवार भी अपने तेरे ।
दरवेश की ये दुआ है ज़माने भर से
हो भीख भी तेरी और कटोरे भी तेरे ।
अभी सफ़र तय भी न हो पाया तू अलहदा
तेरा इस्तकबाल करे जो तू आये अकेले ।
हम तुझे ज़माने भर की नज़रों से छुपा के रखेंगे
अदावत भी मोल लूं जहां से आये ,जो तू आये हरम मे मेरे ।
मैं तुझे चाहता हूं बस तुझी पे मरता हूं 'ताज'
दूसरा कोई सहता क्या 'रतन' ने ज़ुल्म सहे कितने तेरे ।
1 comment:
बढ़िया है!
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